उलूक टाइम्स: बदल जमाने के साथ चल

बुधवार, 25 अप्रैल 2012

बदल जमाने के साथ चल

जमाने के 
साथ आ
जमाना अपना मत बना
ईमानदारी कर मत बस खाली दिखा

अन्ना की तरफदारी भी कर ले
कोई तेरे को कहीं भी नहीं रोक रहा
सफेद टोपी भी लगा 

शाम को मशाल जलूस अगर कोई निकाले
अपने सारे गिरोह कोउसमें शामिल करा लेजा

"सत्य अहिंसा भाईचारा कुछ नये प्रयोग" पर
सेमिनार करा 
संगोष्ठी करा वर्कशोप करा

इन सब कामों में हम से कुछ भी काम तू करवा

हमें चाहे एक धेला भी ना दे जा
पर हमारे लिये परेशानी मत बनजा 

कल उसने कुत्ते को देख कर बकरी कहा
कोई कुछ कर पाया
हमने कुत्ते को कागज पर 
"एक बकरी दिखी थी"
का स्टेटमेंट जब लिखवाया 

अब भी संभल जा उन नब्बे लोगों में आ
जिन्होने कुत्ते को बकरी कहने पर 
कुछ भी नहीं कहा
बस आसमान की तरफ देख कर 
बारिश हो सकती है कहा
बचे दस पागलों का गिरोह मत बना 
जिनको कुत्ता कुत्ता ही दिखा

गाड़ी मिट्टी के तेल से घिसट ही रही हो
पहुंच तो रही है कहीं
पैट्रोल से चलाने का सुझाव मत दे जा

'उलूक' जाके कहीं भी आग लगा
और हमारी तरह 
सुबह के अखबार मे अपनी फोटो पा
बधाई ले लडडू बंटवा। 

चित्र सभार: https://www.deviantart.com/kimjam/art/you-look-like-a-dog-798957425

4 टिप्‍पणियां:

  1. सारे जैसा सोचते, तू वैसा ही सोच ।

    बकरी को कुत्ता कहें, मत कुत्ता को कोंच ।

    मत कुत्ता को कोंच, लोच जीवन में आया ।

    लुच्चों ने ही आज, सदन में नाम कमाया ।

    हरिश्चंद के पूत, घूमते मारे मारे ।

    करो वही सब काम, करें जो चालू सारे ।।

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  2. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति |
    शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ||

    सादर

    charchamanch.blogspot.com

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 30 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. 'उलूक' जाके कहीं भी आग लगा
    और हमारी तरह
    सुबह के अखबार मे अपनी फोटो पा
    बधाई ले लडडू बंटवा। हमेशा की तरह धारदार कलम अपनी अलग छाप छोड़ती हुई - - नमन सह।

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