उलूक टाइम्स: नये टाईप का दांत

मंगलवार, 7 अगस्त 2012

नये टाईप का दांत

खाने के
अलग
और
दिखाने
के अलग
होते हैं दांत
एक हाथी
के पास

सब को
समझ में
आता है

मुझे
पता नहीं
क्या क्या
दिखाई
दे जाता है

अपने
आस पास
खाने के भी
देखता हूँ
दिखाने के भी
देखता हूँ

और
एक ऎसे
भी होते हैं
जो हाथी
के पास
होते ही
नहीं वैसे

छिपाने के
भी देखता
हूँ दांत

लीजिये खाने
में लगे हैं
खाने के  है
तो खायेंगे
बजायेंगे तो
नहीं दांत

दिखाने में भी
लगे हैं
सारी दुनिया
दिखावे में
लगी हुवी है
अब जिनके
पास होंगे
वो ही तो
दिखायेंगे दांत

पर कोई नहीं
दिखाता अपने
छुपाने वाले दांत

मुस्कुरा भी
नहीं पाता
खुल कर हंस
भी नहीं पाता

कहीं गलती से
दिख गये तो दांत

इसलिये चुप
चुप रहता है
कुछ नहीं
कहीं कहता है

पूछो तो मौनी है
बताता है
बस सामने वाले
की हरकतों से
बिलकुल भी नजर
नहीं हटाता है

सारा का सारा
ध्यान किसी के
मौन को कुरेदने
में लगाता है

अर्जुन की तरह
बस छुपाने वाला
दांत किसी तरह
पकड़ पाये
इसके लिये
हर समय कोई
ना कोई योजना
अपने दिमाग में
ऎसी घुमाता है

सामने वाला
और
ज्यादा शातिर
हो जाता है
समझ जाता है
कोई देखना
चाहता है उसका
छुपाने वाला दांत

किसी को पर
पता नहीं
चल पाता है
इसका दांत
उसकी कब
चबाता है
उसका दांत
इसकी कब
चबाता है

छिपाने वाला
दांत छिपा ही
रह जाता है
किसी को भी
नजर कहीं
नहीं आता है ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. daant ke bahane bahut kuch... ek meri bhi kavita hai.. lekin sade hue daant par....aaj confidence aayaa ki theek hi hogi meri bhi kavita

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  2. चाहे जैसे भी हों, विषैले न होने चाहिए।

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  3. जैसे होते है दो,आँख कान दो हाथ
    वैसे होने चाहिए,जैसे हाथी के दांत,,,,,

    वाह ,,, बहुत बढ़िया ,,,
    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,

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  4. आपकी पोस्ट कल 9/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें

    चर्चा - 966 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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