उलूक टाइम्स: 'ए' लो चाहे 'यू' लेलो

गुरुवार, 13 सितंबर 2012

'ए' लो चाहे 'यू' लेलो

जल्दी बहुत वो
ऎसा कानून
लेकर आयेगी
कोई भी बात
अब खुले आम
नहीं कही जायेगी
एक एक को देखना
मनमोहन कृष्ण
बना ले जायेगी
कैसी भी बात हो
खुले आम बिल्कुल
नहीं कही जायेगी
कहने लायक है
या नहीं है
एक कमेटी बतायेगी
हर काम के
अलग अलग सेंसर
बोर्ड बनायेगी
बात पहले तराजू में
तुलवाई जायेगी
हल्की और भारी
अलग अलग
बताई जायेगी
कोई 'ए' तो कोई 'यू'
श्रेंणी में रखी जायेगी
उसी हिसाब का
प्रमाणपत्र पायेगी
श्रीमति जी को
लिखी चिट्ठी भी
पहले उनको खोल
कर दिखलाई जायेगी
प्रियतम लिखें
प्रिय लिखें
या ऎ जी लिखें
सरकारी कमेटी
ये सब बतायेगी
जनता आदतों को
बदल अगर नहीं पायेगी
इन्सान की तरह
अगर रह जायेगी
पूँछ हिलाना नहीं
कुछ सीख पायेगी
कमेटी के सामने
एक बुलवाई जायेगी
पूँछ कटी हुई एक
हाथ में दे दी जायेगी
कहने में साफ बात
हमको भी शर्म आयेगी
लेकिन फिर भी
इशारों में बताई जायेगी
एक पूँछ वाला जीव
बना दी जायेगी
अपने माथे पर 'यू'
चिपका हुआ पायेगी ।

16 टिप्‍पणियां:

  1. उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

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  2. बहुत सुन्दर.. हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनायें ...

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  3. शुक्रवार, 14 सितम्बर 2012
    सजा इन रहजनों को मिलनी चाहिए


    Dr. shyam guptaSeptember 13, 2012 10:10 AM
    वीरू भाई आपने जो भी लिखा सब सत्य है..यही होरहा है आजकल...परन्तु आप यदि अमेरिका में यदि बैठे हैं तो आपको कैसे पता चलेगा कि कौन गलत है कौन सही....असीम या आपका वक्तव्य ही क्यों सही माना जाय..???

    --वास्तव में तो --राष्ट्रीय प्रतीकों से छेड़छाड बिलकुल उचित नहीं ..
    सत्य तथ्य यह है कि हम लोग बड़ी तेजी से बिना सम्यक सोच-विचारे अपनी जाति -वर्ग ( पत्रकार , ब्लोगर , लेखक तथा तथाकथित प्रगतिशील विचारक आदि एक ही जाति के हैं और यह नवीन जाति-व्यवस्था का विकृत रूप बढता ही जा रहा है ) का पक्ष लेने लगते हैं |
    ---- देश-राष्ट्र व नेता-मंत्री में अंतर होता है ...देश समष्टि है,शाश्वत है....नेता आदि व्यक्ति, वे बदलते रहते हैं, वे भ्रष्ट हो सकते हैं देश नहीं ..अतः राष्ट्रीय प्रतीकों से छेड़-छाड स्पष्टतया अपराध है चाहे वह देश-द्रोह की श्रेणी में न आता हो.. यदि किसी ने भी ऐसा कार्टून बनाया है तो निश्चय ही वे अपराध की सज़ा के हकदार हैं ....साहित्य व कला का भी अपना एक स्वयं का शिष्टाचार होता है..
    --- अतः वह कार्टूनिष्ट भी देश के अपमान का उतना ही अपराधी है जितना आपके कहे अनुसार ये नेता...
    Reply
    http://www.blogger.com/profile/११९११२६५८९३१६२९३८५६६
    ब्लॉग

    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
    श्याम स्मृति..The world of my thoughts...डा श्याम गुप्त का चिट्ठा..

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  4. डॉ श्याम गुप्त जी !

    जिन पर संसद की मर्यादा का भार था ,वह रहजन हो गए ,थुक्का फजीहत की है सांसदों ने संसद की जिनमें तकरीबन १५० तो अपराधी हैं .क्या नहीं होता संसद में क्या नोट के सहारे संख्या नहीं बढ़ाई जाती ?क्या इसी संसद में इक राज्य पाल को बूढी गाय और पूर्व राष्ट्र पति को यह नहीं कहा गया -इक हथिनी पाल रखी है .क्या ये तमाम राहजन(रहजन ) आज जिनके हाथ काले हैं संसद की मर्यादा का दायित्व निभा सके ?

    असीम त्रिवेदी को आज इस पीड़ा में किसने डाला .किसने किया उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित .वह तो चित्र व्यंग्य से अपनी रोटी चला रहा था .उस रोटी को भी उसने देश की वर्तमान अवस्था से दुखी होकर दांव पे लगा दिया .जिन नेताओं को सज़ा मिलनी चाहिए उनके प्रति यदि सहानुभूति जतलाई गई ,सारे युवा गुमराह हो जायेंगे ,

    ये असीम त्रिवेदी की और श्याम गुप्त जी यहाँ अमरीका में हमारी व्यक्तिगत दुखन नहीं है ,हत्यारों के बीच खड़े होकर उन्हें हत्यारा कहना बड़ी हिम्मत का काम होता है .जोखिम का भी .असीम ने यह जोखिम क्या लखनऊ वालों को तमाशा दिखाने के लिए उठाया है जो उसे सज़ा दिलवाने की पेश कर रहें हैं .

    ये कैसे भले मानस प्रधान मंत्री हैं जो कहतें हैं :हम जायेंगे तो लड़ते हुए जायेंगे .हाथ में खंजर लिए ये किससे शहादती मुद्रा में लड़ने की बात कह रहें हैं ?क्या उस निरीह जनता से जिसके पहले इन्होनें ,गोसे (उपले ,कंडे )छीन लिए ,जिस जंगल से वह इक्का दुक्का लकड़ी बीनता था उसे वहां से बे -दखल कर दिया और अब कह रहें हैं इक महीने में आधे गैस सिलिंडर से काम चलाओं .जो साल में सातवाँ सिलिंडर खरीदेगे उनसे खुले बाज़ार की कीमत ७६० रुपया ली जायेगी ,सातवें ,आठवें ,नौवें सिलिंडर की भी ..


    लखनऊ में बैठा आदमी कार्टूनिस्ट की पीड़ा क्या समझ सकता है .पकड़ा जाना चाहिए चोर की माँ को ,जिनपे जिम्मेवारी है संसद की गरिमा ,मर्यादा ,सविधानिक संस्थाओं की मर्यादाओं को बनाए रखने की ,वह देश के शौर्य के प्रतीक सेनापति (पूर्व सेना अध्यक्ष )को कहतें हैं :इसकी औकात क्या है ये तो सरकारी नौकर है .

    पकड़ा जाना चाहिए इन्हें .

    आज नेताओं ने गत पैंसठ सालों में सब कुछ तोड़ दिया है .अब तो विनाश के बाद सुधार की अवस्था है .

    जब किसी भवन (इमारत ) की शीर्ष मंजिल गिर जाती है तब सुरक्षा के लिए बाकी मंजिलों को भी गिराया जाता है .

    व्यंग्य चित्र या चित्र व्यंग्य की धार लिखे हुए शब्दों लेखन से कहीं ज्यादा होती है इस धार से कार्टूनिस्ट भी छिलता है बच नहीं पाता है .शासन श्याम गुप्त जी मर्यादाओं से चलता है .अपने प्रताप से चलता है .व्यंग्यकार अपने व्यंग्य की धार खुद भी झेल लेता है .मुक़दमे इन नेताओं पर चलने चाहिए जो निशि बासर संसद का अपमान करतें हैं .तिरंगे का अपमान करते हैं .जिसने आज आम आदमी को असीम त्रिवेदी जैसे आदमी को हर संवेदन शील व्यक्ति को वहां लाकर खडा कर दिया है जहां से वह पत्थर उठाकर अपना सिर खुद फोड़ रहा है .

    शासन ने देश को स्वाभिमान विहीन कर दिया है .यह बात व्यक्ति के अपने दर्द की बात है व्यभि चारी मंत्री को उसे माननीय कहना पड़ता है .जो खुद संविधानिक संस्थाओं को गिरा रहें हैं उन वक्र मुखियों के मुंह से देश की प्रतिष्ठा की बात अच्छी नहीं लगती .फिर चाहे वह दिग्विजय सिंह हों या मनीष तिवारी .उन्हें और किसी और को भी यह हक़ नहीं है कि वह त्रिवेदी पे इलज़ाम लगाएं .आपको भी जो उसके लिए सजा की पेश कर रहें हैं सज़ा का क्वांटम भी बता देते .

    प्रस्तुतकर्ता Virendra Kumar Sharma पर 8:44 pm 1 टिप्पणी:

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    उत्तर
    1. ना तुम हो यार लोटा
      ना हम हैं यार लोटा
      सब लोग हैं यार लोटा
      हमारे पास है पैंदा
      बाकी हैं यार लोटा
      लोटा भी है बिन पैदा !

      हटाएं
  5. 'ए' लो चाहे 'यू' लेलो
    जल्दी बहुत वो
    ऎसा कानून
    लेकर आयेगी
    कोई भी बात
    अब खुले आम
    नहीं कही जायेगी
    एक एक को देखना
    मनमोहन कृष्ण
    बना ले जायेगी

    क्या बात है उलूक टाइम्स की -कितनो के संग रास रचाएगी ,

    ram ram bhai
    शुक्रवार, 14 सितम्बर 2012
    सजा इन रहजनों को मिलनी चाहिए

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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  6. न तुम देश भक्षक न हम देश द्रोही ,तुम्हारी भी जै जै ,हमारी भी जै जै

    करो आरती सोनिया जी की, जै जै ,

    ये राहुल की जै जै, विजय दिग की जै जै ,

    करो सब की जै जै ,करो सब की जै जै .

    ये बोला मौन सिंह ,करो आज जै जै .

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  7. बहुत खूब सर
    हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ!

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  8. चेहरे से अच्छा डिब्बा ही लगेगा .
    शेख ने मस्जिद बना मिस्मार मयखाना (मैखाना )किया ,
    पहले कुछ सूरत तो थी ,अब साफ़ वीराना किया .
    भाई साहब जब से गूगल पर हम प्लस हुए वीरुभाई से डिब्बा भाई हो गए .कल बिटिया से इन नए कंप्यूटर पर डाउन लोड करवाऊंगा .लो जी बिटिया ने अटेच भी कर दी फोटो .स्साला ऑरकुट पे पूरी एल्बम मिल गई हमारी किसी पिछली यू एस विजिट की अब लगाओ डिब्बे की जगह यह फोटू, भोटूभाई का .
    अब देखो साला प्रोफाइल हमारा .नेहा से वीरू भाई .

    जवाब देंहटाएं
  9. चेहरे से अच्छा डिब्बा ही लगेगा .
    शेख ने मस्जिद बना मिस्मार मयखाना (मैखाना )किया ,
    पहले कुछ सूरत तो थी ,अब साफ़ वीराना किया .
    भाई साहब जब से गूगल पर हम प्लस हुए वीरुभाई से डिब्बा भाई हो गए .कल बिटिया से इन नए कंप्यूटर पर डाउन लोड करवाऊंगा .लो जी बिटिया ने अटेच भी कर दी फोटो .स्साला ऑरकुट पे पूरी एल्बम मिल गई हमारी किसी पिछली यू एस विजिट की अब लगाओ डिब्बे की जगह यह फोटू, भोटूभाई का .
    अब देखो साला प्रोफाइल हमारा .नेहा से वीरू भाई .
    ये रहा डिब्बे का लिंक
    https://plus.google.com/u/0/114070185939259445232/posts

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  10. कानों के संक्रमण के लिए काइरोप्रेक्टिक पे आपकी टिपण्णी उत्साह बढा गई .अकसर उत्साह बढाते रहिए बहुत कमी है इस जींस की आजकल हिन्दुस्तान में पूरा देश अवसाद ग्रस्त है .

    जवाब देंहटाएं