उलूक टाइम्स: अक्स
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गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

किसे मतलब है और होना भी क्यों है अगर एक बददिमाग का दिमाग शब्दों से हल्का हो रहा होता है

हाथी होने का
मतलब एक
बड़ी चीज होना
ही जरूरी
नहीं होता है
किसी चींटी
का नाम भी
कभी किसी ने
हाथी रखा
होता है
दुधारू गाय को
किसी की कोई
मरा हुआ हाथी
कभी कह देता है
परेशान होने की
जरूरत
नहीं होती है
अखबार में
जो होता है
उससे बड़ा सच
कहीं नहीं होता है
चिढ़ किसी
को लगती है
खुश होना चाहिये
चिढ़ाने वाले को
अजीब सी बात
लगती है जब
आग लगाने
वाला ही नाराज
हो रहा होता है
झूठ के साथ
एक भीड़ का
पता भी होता है
बस इसी सच
का पता
बेवकूफों को
नहीं होता है
भौंकते रहते हैं
भौंकने वाले
हमेशा ही
काम करने
वाला अपनी
लगन से ही
कर रहा होता है
लगे रहो लिखने
वाले अपने
हिसाब से कुछ
भी लिखने के लिये
जल्लाद का शेयर
हमेशा मौत से
ज्यादा चढ़
रहा होता है
शेरो शायरी में
दम नहीं होता है
‘उलूक’ तेरी
तू भी जानता है
तेरे सामने ही
तेरा अक्स ओढ़
कर भी सब कुछ
सरे आम
नंगा हो रहा
होता है ।
चित्र साभार: www.clipartof.com

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

मुझे तो छोड़ दे कम से कम हर किसी को कुछ ना कुछ सुनाता है

कभी कहीं किसी ऐसी
जगह चला चल जहाँ
बात कर सकें खुल के
बहुत से मसले हैं
सुलझाने कई जमाने से
रोज मुलाकात होती है
कभी सुबह कभी शाम
कभी रास्ते खासो आम
इसके उसके बारे में तो
रोज कुछ ना कुछ
सामने से आता है
कुछ कर भी
ना पाये कोई
तब भी लिख
लिखा कर
बराबर कर
लिया जाता है
तेरा क्या है तू तो
कभी कभार ही
बहुत ही कम
समय के लिये
मिल मिला पाता है
जब बाल बना
रहा होता है कोई
या नये कपड़े कैसे
लग रहे हैं पहन कर
देखने चला जाता है
हर मुलाकात में ऐसा
ही कुछ महसूस
किया जाता है
अपने तो हाल ही
बेहाल हो रहे हैं
कोई इधर दौड़ाता है
कोई उधर दौड़ाता है
एक तू है हर बार
उसी जगह पर
उसी उर्जा से ओतप्रोत
बैठा नहीं तो खड़ा
पाया जाता है
जिस जगह पर कोई
पिछली मुलाकात में
तुझे छोड़ के जाता है
बहुत कर लिये मजे तूने
उस पार आईने के
रहकर कई सालों साल
अब देखता हूँ कैसे
बाहर निकल कर के
मिलने नहीं आता है
कुछ तो लिहाज कर ले
फिर नहीं कहना किसी से
दुनियाँ भर में कोई कैसे
अपने खुद के अक्स को
इस तरह से बदनाम
कर ले जाता है ।

बुधवार, 21 दिसंबर 2011

आईना

आज एक लम्बे
अर्से के बाद
पता नहीं कैसे मैं
जा बैठा घर के
आईने के सामने
मेरे दिमाग की तरह
आईने ने कोई अक्स
नहीं दिखलाया
मैं थोड़ा घबराया
नजर को फिराया
सामने कैलेण्डर में
तो सब नजर
आ रहा था
तो ये आईना
मुझसे मुझको
क्यों छिपा रहा था
सोचा किसी को बुलाउं
आईना टेस्ट करवाउं
बस कुता भौंकता
हुवा आया थोडा़ ठहरा
फिर गुर्राया जब
उसने अपने को आईने
के अंदर भी पाया
मुझे लगा आईना
भी शायद समय
के सांथ बदल रहा होगा
इसी लिये कबाड़ का
प्रतिबिम्ब दिखाने से
बच रहा होगा
विज्ञान का हो भी
सकता है ऎसा
चमत्कार
जिन्दा चीजों का ही
बनाता हो आईना
इन दिनो प्रतिबिम्ब
और मरी हुवी चीजों
को देता हो चेतावनी
कि तुम अब नहीं हो
कुछ कर सकते हो
तो कर लो अविलम्ब।