उलूक टाइम्स: अनहोनी
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शुक्रवार, 21 मार्च 2014

गंंदगी ही गंंदगी को गंंदगी में मिलाती है

होनी तो होनी
ही होती है
होती रहती है
अनहोनी होने
की खबर
कभी कभी
आ जाती है
कुछ देर के
लिये ही सही
कुछ लोगों की
बांंछे खिल कर
कमल जैसी
हो जाती हैं
गंंदगी से भरे
नाले की
कुछ गंंदगी
अपने आप
निकल कर
जब बाहर को
चली आती है
फैलती है खबर
आग की तरह
चारों तरफ
पहाड़ों और
मैदानो तक
नालों से
होते होते
नाले नदियों
तक फैल जाती है
गंंदगी को
गंंदगी खीँचती है
अपनी तरफ
हमेशा से ही
इस नाले से
निकलते निकलते
दूसरे नालों के
द्वारा लपक
ली जाती है
गंंदगी करती है
प्रवचन गीता के
लिपटी रहती है
झक्क सफेद
कपड़ों में हमेशा
फूल मालाओं से
ढक कर बदबू
सारी छुपाती है
आदत हो चुकी
होती है कीड़ों को
इस नाले के हो
या किसी और
नाले के भी
एक गँदगी के
निकलते ही
कमी पूरी करने
के लिये दूसरी
कहीं से बुला
ली जाती है
खेल गंंदगी का
देखने सुनने
वाले समझते हैं
बहुत अच्छी तरह से
हमेशा से ही
नाक में रुमाल
लगाने की भी
किसी को जरूरत
नहीं रह जाती है
बस देखना भर
रह गया है
थोड़ा सा इतना
और कितनी गंंदगी
अपने साथ उधर से
चिपका कर लाती है
और कौन सी
दूसरी नाली है
जो उसको अब
लपकने के लिये
सामने आती है ।

मंगलवार, 19 नवंबर 2013

ये तो होना ही था


जो हो रहा था अच्छा हो रहा था 
जो हो रहा है अच्छा हो रहा है 
जो आगे होगा वो अच्छा ही होगा 

बस तुझे
एक बात का 
ध्यान रखना होगा 

बंदर के बारे में 
कुछ भी कभी भी नहीं सोचना होगा 

बहुत पुरानी कहावत है 
मगर बड़े काम की कहावत नजर आती है 
जब मुझे
अपने 
दिमाग में घुसी भैंस नजर आती है 

अब माना कि 
अपनी ही होती है 
पर भैंस तो भैंस होती है 
उसपर
जब वो किसी के 
दिमाग में घुसी होती है 

जरा जरा सी बात पर 
खाली भड़क जाती है 
कब क्या कर बैठे 
किसी को बता कर भी नहीं जाती है 

दूसरों को देख 
कर लगता है 
उनकी भी कोई ना कोई 
भैंस 
तो 
जरूर होती होगी 

तो मुझे खाली
क्यों 
चिंता हो जाती है 
अपनी अपनी भैंस होती है
जिधर करेगा मन 
उधर को चली जाती है

अब इसमें मुझे 
चिढ़ लग भी जाती है 
तो कौन सी बड़ी बात हो जाती है 

लाईलाज हो बीमारी
तब 
हाथ से निकल जाती है 

अखबार की खबर से 
जब पता चलता है 
कोई भी ऐसा नहीं है 
मेरे सिवाय यहाँ पर 
जिसके साथ इस तरह की कोई अनहोनी होती हुई
कभी यहां 
पर देखी जाती है 

होती भी है
किसी के 
पास एक भैंस 
वो हमेशा तबेले में ही बांधी जाती है 

सुबह सुबह से
इसी 
बात को सुनकर 
दुखी हो चुकी
मेरे 
दिमाग की भैंस 
पानी में चली जाती है 

तब से भैंस के जाते ही 
सारी बात जड़ से खतम हो जाती है 

परेशान होने की 
जरूरत नहीं 
अगर आपके समझ में
'उलूक' 
की बात बिल्कुल भी नहीं आती है । 

चित्र साभार: http://wazaliart.blogspot.com/