उलूक टाइम्स: आजमा
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शनिवार, 11 अगस्त 2012

श्रीमती जी की एक राय

लिख लिख 
और लिख
लिखता ही 

चला जा
पर तुझे वो कुछ 

नहीं है पता 
जो मुझको है पता
बस लिखने से
नहीं होने वाला है
तेरा कुछ भला
इन चार लोगों की
दी हुई टिप्पणियों
पर मत इतरा
कुछ मेरी भी
कभी सुनता जा
कुछ करना ही
चाहता है तो
जूते नये ब्राँडेड
लेकर आ
पालिश लगा
कर चमका
ऎसा एक ही दिन
नहीं करना है
समझ जा
इसे अपनी
रोज की
एक आदत बना
कोट की जेब
वो भी ऊपर वाली
में सफेद रुमाल भी
एक अटका
जरा सा धूल
नजर आये
कहीं भी जूते पर
तो थोड़ा रुक जा
रुमाल फिरा
और जूता चमका
व्यक्तित्व की
एक झलक होता है
किसी का
चमकता हुआ जूता
हींग लगे ना फिटकरी
सबसे सस्ता भी
होता है ये तरीका
जूते पर
कर भरोसा
अब भी समय है
समझ जा
लिखने को
मत आजमा
किसी को नहीं
आता है
तेरे लिखे में
कोई मजा
एक बार अपनी
श्रीमती के
कहने को
भी तो आजमा
फिर देख
कैसे उठता है
लोगों के
दिल से धुआँ ।