उलूक टाइम्स: ईश्वर
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शनिवार, 13 अक्तूबर 2018

धरम बिना आवाज का कैसा होता है रे तेरा कैसे बिना शोर करे तू धार्मिक हो जाता है

किसलिये
खोलता है

खुद ही

हमेशा
अपनी पोल

तेरी सोच में

और
तुझमें भी हैं

ना जाने
कितने झोल

दुनियाँ पढ़
दुनियाँ लिख

कभी
बक बक छोड़

दुनियाँ सोच
की आँखें खोल

पण्डित है 


सुना है
पण्डिताई
तक नहीं
दिखला 

पाता है

घर के
मन्दिर के
अन्दर कहीं
पूजा करवाता है

बाहर किसी
मन्दिर को
जाता हुआ
नजर नहीं
आता है

गणपति
पूजा के
ढोल नगाढ़े
पड़ोसी एक

एक और एक
ग्यारह दिन तक

अपने घर में
बजवा जाता है

कान में
ठूस कर रूई
इतने दिन

पता नहीं
अपने घर के
किस कोने में

तू घुस जाता है

दशहरा आता है
राम की लीला
शुरु होती है

दुर्गा का पण्डाल
घर की छत से
नजर आता है

सोने की जरूरत
खत्म हो जाती है

सुबह
पौ फटते ही

फटी आवाज
का एक मंत्र
अलार्म
हो जाता है

सारा
मोहल्ला
जा जा कर
भजनों में
भाग लगाता है

तू
फिर अपने
कानों में
अंगुली ठूसे
घर के किसी
कमरे में
चक्कर
लगाता है

कोरट
कचहरी
में भी शायद
होता होगा

तेरा जैसा ही
कोई बेवकूफ

हल्ला गुल्ला
शोर शराबे पर
कानून बना कर

थाने थाने
भिजवाता है

भक्ति पर जोर
कहाँ चलता है

जोर लगा कर
हईशा के साथ

भगतों का रेला

ऐसे कागजों में
मूँगफली
बेच जाता है

कैसी तेरी पूजा
कैसी तेरी भक्ति
'उलूक'

कहीं भी तेरी
पूजा का भोंपू

किसी को
नजर नहीं
आता है

बिना
आवाज करे
बिना नींद
हराम करे

जमाने की

कैसे
तू ऊपर
वाले को
मक्खन
लगा कर

चुपचाप
किनारे से
निकल जाता है

समझ में
नहीं आता है

पूजा
करने वाला
ढोल नगाड़े
भोंपू के बिना

कैसे ईश्वर को
पा जाता है

और
समझ में
आता है

किसलिये
तू कभी भी
हिन्दू नहीं
हो पाता है ।

चित्र साभार: https://www.hindustantimes.com/mumbai-news/noise-can-make-you-deaf-this-diwali-turn-a-deaf-ear-to-noise/

गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

मैरी क्रिसमस टू यू

पितामह
और
संध्याकाल

गणेश
स्तुति
रामरक्षा
हनुमान
चालीसा
और
ध्यान

कहीं
अंधेरे में
कुछ कुछ
दिखता हुआ

शायद
भगवान

सुबह
की दौड़
बस्ता

प्रार्थना सभा
ईशू के गीत

चमकता
चेहरा
दाड़ी
कुछ कथाऐं

बलिदान
करता हुआ
एक भगवान

पच्चीस दिसम्बर
सजी हुई
एक इमारत

मोमबत्तियाँ
केक चर्च
कहानियाँ
और
कहानियों
में ही कहीं
कोई
एक शैतान

चर्च की
बजती घंटियाँ
मंदिर की
आरतियाँ

सलीब
पर लटका
कोई
एक ईश्वर
गुदा हुआ
कीलों से

रिसता
हुआ खून

बलिदान
करता
एक भगवान

राम में ईशू
ईशू में राम
भगवान ईश्वर
धनुष तलवार
शंखनाद घंटियाँ
मधुर आवाज

बचपन
से पचपन
की ओर
धर्म और
अधर्म

आदमी
और शैतान
आदमी से
आदमी
की कम
होती पहचान

ना दिखे राम
ना मिले ईशू
होते चले
इसके उसके
और
मेरे भगवान

बाकी
कुछ नहीं
रह गया
कहने को

क्या कहूँ
बस
कुछ भूलूँ
कुछ
याद करूँ

हैप्पी
क्रिसमस टू यू
मैरी
क्रिसमस टू यू ।

चित्र साभार: luvly.co

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

लिख आ कहीं जा कर किसी पेड़ की छाल पर ये भी

ईश्वर के
उस पुजारी
की तरफ
मत देख

जिसे उसके
मंदिर की
जिम्मेदारी
दी गई है

उसका पूजा
करने का
तरीका तुझे
पसंद नहीं भी
हो सकता है

पर यज्ञ
हो रहा है
एक बहुत
विशाल

ईश्वर को
लेकर नहीं
नरक हो
चुके लोकों
के उद्धार
करने के लिये

अवतरित
होने की प्रथा
में परिवर्तन कर
पास किया
जा चुका है

ईश विधेयक
नहीं भेजता
भक्तों के
अवलोकन
के लिये कभी

भक्तों का
विश्वास उसकी
ताकत होती है

आहुति देने
के सामान
के बारे में
पूछ ताछ
करना
सख्त मना है

आचार संहिता
और
सरकार के
भरोसे को
तोड़ने वाले को
जेल भेजने
के लिये
बहुत से कानून
उसने अपने
भक्तों को
बांंटे हुऐ हैं

अब ऐसे में
‘उलूक'
तू यही कहेगा

किसी भी
पुजारी का
आदमी नहीं है

किसी मंदिर
मस्जिद
गुरुद्वारे चर्च से
तुझे कुछ लेना
और देना नहीं है

तो समझ ले
तेरी सारी
परेशानी की
जड़ तू खुद है

इसीलिये
तुझको
राय दी
जा रही है

तेरे और
तेरे जैसे
थोड़े बहुत
कुछ और
बेवकूफों को
बताने के लिये

यज्ञ
हो रहा है
मान ले
आहुति
देने को
तैयार रह

ईश्वर
और भक्तों
की सत्ता को
मत ललकार

पागल
हो जायेगा
आहुति
का सामान
बाजार में भी
मिलता है
खरीद डाल

बिल की
मत सोच
नेकी कर
कुऐं में
डाल दी गई
चीजों की लिस्ट

कभी किसी
जमाने में
खुदाई में
जरूर निकल
कर के आयेंगी

आगे तेरी
ही पीढ़ी में
किसी को
ताम्र पत्र
दिलाने
के काम
आ जायेंगी
ठंड रख।

गुरुवार, 5 जुलाई 2012

बोसोनीश्वर

भगवान के
सुना है
करीब पहुँच
गया है
धरती का
इंसान

उसके एक
सूक्ष्म कण
की खोज
ने बना दिया
यह काम
बहुत आसान

इन कणों के
कारण ही
पदार्थ के
कणों में
वजन आ
जाता है

प्रकृति को
समझने
के लिये
इस तरह
एक नया
रास्ता
सामने नजर
आता है

कण कण में
हैं भगवान
घर में
अपने
बच्चों को
हर इंसान
बताता है

मैं ही ब्रह्म हूँ
का अर्थ
यहीं पर ही
थोड़ा सा
समझ हमारे
भी आ पाता है

हिग्स बोसोन
की खोज में
जब भारत
के वैज्ञानिक
श्री सतेन्द्र नाथ बोस
का नाम भी
जुड़ जाता है

हर भारतीय
के लिये
बहुत गर्व का
एक विषय
यह जरुर
हो जाता है

सोचिये
कोशिश करिये
महसूस इस
कण को
अपने में
कर ले जाइये

अल्लाह ईश्वर
गौड के
एक होने
का सबूत
इस को
मान जाइये

विश्व शाँति
और अमन
के लिये
इस से अच्छा
और कोई
रास्ता क्या
कहीं नजर
आता है

कहीं तो
ईश्वर की
सत्ता
सच में
है मौजूद
एक सूक्ष्म
सा कण
क्या छोटे
से में हमें
ये नहीं
समझा
पाता है।

मंगलवार, 15 मई 2012

कार्टून और लंगोट

विधान सभा लोक सभा में
चर्चा अभी अगर नहीं कराओगे
लिखने लिखाने कार्टून बनाने
के कुछ नियम नहीं बनाओगे
संविधान का कार्टून अब भी
कुछ बंदरों से नहीं बनवाओगे
भारत देश की नागरिकता से
कभी भी हाथ धुला पाओगे
किसी पर भी कार्टून बनाओगे
आज नहीं फंसोगे पचास साल
बाद ही सही फंसा दिये जाओगे
जिंदा रहे तो टांक दिये जाओगे
मर खप गये तो किसी जिंदे
आदमी का जनाजा निकलवाओगे
कार्टून छोड़ो मुस्कुराने पर भी
सवाल जवाब होता देख पाओगे
सबके लिये बुरके जालीदार
सिलवाते ही रह जाओगे
अपने अपने कार्टून बनाओगे
अपने ही गले में लटकाओगे
ईश्वर को मंदिर से अगर भगाओगे
आदमी को ईश्वर मान जाओगे
शायद अपनी लंगोट बचा पाओगे
नंगे होने से पक्का बच जाओगे।

सोमवार, 26 दिसंबर 2011

गोष्ठी

संगोष्ठी में
निमंत्रित
किये गये
ईश्वर गौड
और अल्ला
क्रिसमस की
पूर्व संध्या थी
होना ही
था हल्ला
केक काटे गये
संगीत हुवा
ड्रिंक्स कैसे
नहीं बंटते
भला
बातों बातों में
प्रश्न हुवा
बातों का हमारी
आदमी को
कैसे पता
चला
स्टिग आप्रेशन
आदमी
की थी
कारस्तानी
मामला
जब खुला
सभी प्रतिभागी
एकमत थे
बहुमत से
आदमी को
नहीं माना
गया बला
बनाया हमने
पढ़ाया हमने
लड़ाया हमने
भुगतेगा
जैसा चाहो
आप सभी
कल मिल
कर ले आते हैं
चलो एक
जलजला।