उलूक टाइम्स: ईसा
ईसा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ईसा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 25 दिसंबर 2017

हैप्पी क्रिसमस मेरी क्रिसमस जैसे कह रहे हों राम ईसा मसीह से आज कुछ ऐसी सोच जगायें


ईसा मसीह को
याद कर रही है
जहाँ सारी दुनियाँ
बहुत सी और भी
हैं महान आत्माएं

किस किस को
याद करें
किस किस को
भूल जायें

पराये अपने
होने लगे हैं
बहुत अच्छा है
आईये कुछ
मोमबत्तियाँ
प्यार के
इजहार
की जलायें
रोशनी प्रेम
और भाईचारे
की फैलायें

सीमायें
तोड़ कर सभी
चलो इसी तरह
किसी एक
दिन ही सही
मंशा आदमियत
की बनायें
आदमी हो जायें

सहेज लें
समय को
मुट्ठी में
इतना कि
अपने पराये
ना हो पायें

याद
आने लगे हैं
अटल जी
याद आ रहे हैं
मालवीय
याद आने
शुरु हो गये हैं
और भी अपने
आस पास के
आज एक नहीं
कई कई

न्यूटन जैसे
और भी हैं
इन्हीं
कालजयी
लोगों में
आज के दिन
जन्म लिये
महापुरुषों में

सभी
तारों को
एक ही
आकाश में
चाँद सूरज
के साथ
देखने की
इच्छा जतायें

पिरो लें
सभी
फूलों को
एक साथ
एक धागे में
एक माला
एक छोटी
ही सही
यादों को
सहेजने
की बनायें

याद आ रहे हो
बब्बा आज
तुम भी बहुत
इन सब के बीच में
तुम्हारी जन्मशती
के दिन हम सब
मिलकर सब के साथ
दिया एक यादों का
आज चलो जलायें

हैप्पी क्रिसमस
मेरी क्रिसमस
जैसे कह
रहे हों राम
ईसा मसीह से
आज कुछ ऐसी
सोच जगायें।

चित्र साभार: Shutterstock



स्व. श्री देवकी नन्दन जोशी
25/12/1917 - 12/02/2007

बुधवार, 23 नवंबर 2016

सब नहीं लिखते हैं ना ही सब ही पढ़ते हैं सब कुछ जरूरी भी नहीं है लिखना सब कुछ और पढ़ना कुछ भी


मन तो बहुत होता है 
खुदा झूठ ना बुलाये 

अब खुदा बोल गये 
भगवान नहीं बोले 
समझ लें 

मतलब वही है 
उसी से है जो कहीं है 
कहीं नहीं है 

सुबह 
हाँ तो बात 
मन के बहुत 
होने से शुरु हुई थी 

और 
सुबह सबके साथ होता है 
रोज होता है वही होता है 

जब दिन शुरु होता है 
प्रतिज्ञा लेने जैसा 
कुछ ऐसा 
कि 
राजा दशरथ का प्राण जाये 
पर बचन ना जाये जैसा 

जो कि 

कहा जाये तो सीधे सीधे 
नहीं सोचना है आज से 
बन्दर क्या उसके पूँछ 
के बाल के बारे में भी 
जरा सा

नहीं बहुत हो गया 
भीड़ से दूर खड़े 
कब तक खुरचता रहे कोई 
पैर के अँगूठे से
बंजर जमीन को 
सोच कर उगाने की 
गन्ने की फसल 
बिना खाद बिना जल 

बोलना बोलते रहना 
अपने को ही
महसूस कराने लगे अपने पूर्वाग्रह 

जब 

अपने आसपास अपने जैसा 
हर कोई अपने साथ बैठा 
कूड़े के ढेर के ऊपर 
नाचना शुरु करे गाते हुऐ भजन 
अपने भगवान का 
भगवान मतलब खुदा से भी है 
ईसा से भी है 
परेशान ना होवें 

नाचना कूड़े की दुर्गंध 
और 
सड़ाँध के साथ 
निर्विकार होकर

पूजते हुऐ जोड़े हाथ


समझते हुऐ 


गिरोहों से अलग होकर 
अकेले जीने के खामियाजे 


‘उलूक’ 
मंगलयान पहुँच चुका होगा 

मंगल पर 

उधर देखा कर 
अच्छा रहेगा तेरे लिये 


कूड़े पर बैठे बैठे 
कब तक सूँघता रहेगा दुर्गंध 


वो बात अलग है 
अगर नशा होना शुरु हो चुका हो 


और 


आदत हो गई हो 


सबसे अच्छा है 
सुबह सुबह फारिग होते समय 

देशभक्ति कर लेना 

सोच कर तिरंगा झंडा 
जिसकी किसी को याद 
नहीं आ रही है इस समय 
क्योंकि देश व्यस्त है 
कहना चाहिये कहना जरूरी है ।

चित्र साभार: All-free-download.com

बुधवार, 25 दिसंबर 2013

आओ मित्र आह्वान करें तुम हम और सब ईसा का आज ध्यान करें

तुम्हारी शुद्ध आत्मा
से निकली भावनाओं
से मैं भी इत्तेफाक
रखता हूँ इसी कारण
तरह तरह के इत्र भी
अपने आस पास रखता हूँ
अच्छा है अगर चल गया
उद्गार किसी झूठ
को छिपाने के लिये
नहीं तो क्या बुरा है
कुछ इत्र छिड़क कर
चारों तरफ फैलाने में
वाकई आज का दिन
बहुत बड़ा दिन है
अवतरण होना है
ईसा को फिर से
एक बार यहां
आज ही के दिन
इस खबर की खबर
भी एक बड़ी खबर है
बड़ा दिन बड़ी आत्माऐं
बड़ी दीवार बड़ा चित्र
और कुछ बड़ी ही नहीं
बहुत बड़ी बातों को
सुनहरे फ्रेम में
मढ़ देने का दिन है
आप सर्व समावेशी
उदगारों की आवश्यकता
की बात करते हो
आज के जैसे दिनो
में ही तो उदगारों को
महिमा मण्डित कर
लेने का दिन है
साल भर के अंदर
कुछ कुछ दिनों के
अंतर में बहुत से
बड़े बड़े दिन
आते ही रहते हैं
मौके होते हैं यही
कुछ पल के ही सही
आत्ममंथन खुद का
करवाते ही रहते हैं
बहुत छोटी यादाश्त
हो चली हो जहाँ
दूसरे दिन से कहीं
आग लगाने को
माचिस खोजने को भी
हम जाते ही रहते हैं
फिर भी चलो
और कोई नहीं
तुम और मैं ही सही
उद्गारों को आत्मकेंद्रित
करें आज के दिन बस
उदगारों का व्यापार करें
सर्वज्ञ सर्वव्यापी सर्वशक्तिमान
से प्रार्थना करें
अवतरित होकर
वो आज
सारी मानवजाति
का कल्याँण करें
फिर कल से कुछ
भूलें कुछ याद करें
शुरु हो जायें हम तुम
और सब फिर से
किसी दूसरे बड़े दिन के
आने का इंतजार करें ।