उलूक टाइम्स: उलाहना
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शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

आइना कभी नहीं देखने वाला दिखाने के लिये रख गया

किसी ने
उलाहना दिया
सामने से एक
आइना रख दिया

जोर का झटका
थोड़ा धीरे से
मगर लग गया

ऐसा नहीं कि ऐसा
पहली बार हुआ

कई बार
होता आया है
आज भी हुआ

बेशर्म हो जाने के
कई दिनों के बाद
किसी दिन कभी
जैसे शर्म ने
थोड़ा सा हो छुआ

लगा जैसे
कुछ हुआ
थोड़ी देर के
लिये ही सही

नंगे जैसे होने का
कुछ अहसास हुआ

हड़बड़ी में अपने ही
हाथ ने अपने
ही शरीर पर
पड़े कपड़ों को छुआ

थोड़ी राहत सी हुई
अपने ही अंदर के
चोर ने खुद से ही कहा

अच्छा हुआ बच गया
सोच में पड़ गया
खुद के अंदर झाँकने
के लिये किसके कहने
पर आ कर गया

समझ में आना
जरूरी हो गया
‘उलूक’ उलाहना
क्यों दिया गया

अपने चेहरे को
खुद अपने आइने
में देखने के बदले

कोई अपना आइना
पानी से धोकर
धूप में सुखा कर
साफ कपड़े
से पोंछ कर
तेरे सामने से
क्यों खड़ा
कर गया

जोर का झटका
किसी और का
थोड़ा धीरे
से ही सही
किसी और को
लगना ही था
लग गया ।

चित्र साभार: acmaps.info.yorku.ca