गाँव में
शरीफों से
बच रही है रजिया
बात नहीं बताने की
इज्जत
उतारने वाला
शहर में भी एक
शरीफ ठेकेदार निकला
शरीफों
को आजादी है
संस्कृति ओढ़ने की
और बिछाने की
दिनों से
शरीफ साथ में है
पता भी ना चला
और रोज ही
शराफत से एक
नया अखबार निकला
शरीफों
को सिखा दी है
शरीफ ने
कला
शराफत से
गिरोहबाजी करने की
गिरोह
शरीफों का
गिरोह शरीफों के लिये
एक
शरीफ का ही
शराफत का
बाजार निकला
जिन्दगी
निकल जाती है
गलतफहमी में
इसी तरह बेवकूफों की
एक नहीं
दो नहीं
कई कई बार
फिर फिर
बेशरम
अपनी ही इज्जत
खुद अपने आप
उतार निकला
‘उलूक’
जरूरत है
खूबसूरत
सी हर
तस्वीर के
पीछे से
भी देखने की
फिर
ना कहना
अगली बार भी
एक
सियार
शेर का
लबादा ओढ़ कर
घर
की गली से
सालों साल
कई कई
बार निकला।
चित्र साभार: http://getdrawings.com
शरीफों से
बच रही है रजिया
बात नहीं बताने की
इज्जत
उतारने वाला
शहर में भी एक
शरीफ ठेकेदार निकला
शरीफों
को आजादी है
संस्कृति ओढ़ने की
और बिछाने की
दिनों से
शरीफ साथ में है
पता भी ना चला
और रोज ही
शराफत से एक
नया अखबार निकला
शरीफों
को सिखा दी है
शरीफ ने
कला
शराफत से
गिरोहबाजी करने की
गिरोह
शरीफों का
गिरोह शरीफों के लिये
एक
शरीफ का ही
शराफत का
बाजार निकला
जिन्दगी
निकल जाती है
गलतफहमी में
इसी तरह बेवकूफों की
एक नहीं
दो नहीं
कई कई बार
फिर फिर
बेशरम
अपनी ही इज्जत
खुद अपने आप
उतार निकला
‘उलूक’
जरूरत है
खूबसूरत
सी हर
तस्वीर के
पीछे से
भी देखने की
फिर
ना कहना
अगली बार भी
एक
सियार
शेर का
लबादा ओढ़ कर
घर
की गली से
सालों साल
कई कई
बार निकला।
चित्र साभार: http://getdrawings.com