उलूक टाइम्स: गधों
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सोमवार, 12 अगस्त 2013

भाई आज फिर तेरी याद आई

गधों में से चुना
जाना है एक गधा
चुनने के बाद
कहा जायेगा उसे
गधों में सबसे
गधा गधा
इस काम को
अंजाम देने के
लिये लाया जाना है
आसपास का नहीं
कहीं बहुत दूर
का एक गधा
गधों के माफिया
ने चुना है
सुना एक धोबी
का गधा
जब बहुत से
गधे खेतों में
घूमते चरते
दिख रहे हैं
रस्सी भी नहीं हैं
पड़ी गले में
फुरसत में
मटरगश्ती भी
मिल कर वो
कर रहे हैं
समझ में नहीं
ये आया गधे
धोबी के गधे से
अपना काम
निकलवाने के लिये
क्यों मर रहे हैं
मुझ गधे के दिमाग ने
मेरा साथ ही
नहीं निभाया
इस बात का राज
मुझे गूगल ने
भी नहीं बताया
थक हार कर
मैंने अपने एक
साथी को अपनी
उलझन को बताया
सुनते ही चुटकी
में यूँ ही उसने
इस बात को कुछ
ऎसे समझाया
बोला चूहों को
जब बांधनी होती है
किसी बिल्ली के
गले में घंटी
बहुत मुश्किल
से किसी एक
चतुर चूहे के
नाम पर है
राय बनती
काम होने में
भी रिस्क बहुत
है हो जाता
कभी कभी चतुर
चूहा इसमें शहीद
भी है हो जाता
अब अगर पहले
से ही घंटी बंधी
बिल्ली किसी के
पास हो जाये
तो बिना मरे भी
चूहों का काम
आसान हो जाये
इसी सोच से धोबी
के गधे पर दाँव
गधों ने लगाया होगा
गधे का नहीं सोचा होगा
धोबी पटा पटाया होगा
गधों को जब अपना
काम करवाना होगा
धोबी को बस एक
पैगाम पहुँचाना होगा
धोबी बस गले की
रस्सी को हिलायेगा
गधा गधों के सोचे हुऎ
गधे के नाम पर
ही मुहर लगायेगा
लिख दिया है
ताकि सनद रहे
क्या फर्क पड़ना है
क्योंकि एक गधे की
लिखी हुई बात को
बस गधा ही केवल
एक समझ पायेगा
उसे तो चरनी है
लेकिन बस घास
वो फाल्तू में यहाँ
काहे को आयेगा
गधों के लिये एक
गधे के द्वारा कही
गई बात गधों को
कोई भी जा
के नहीं सुनाऎगा ।