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शनिवार, 20 जुलाई 2013

कब्र की बात पता करके आ मुर्दा एक हो जा

बहुत बार इस
बात का उदाहरण
अपनी बात को
एक ताकत देने
के लिये दे
दिया जाता है
जिसे सुनते ही
सामने वाला
भी भावुक हो
ही जाता है
जब उससे
कहा जाता है
अपनी कब्र का
हाल तो बस
मुर्दा ही
बता पाता है
कब्र में तो जाना
ही होता है
एक ना एक दिन
वहाँ से कौन
फिर जाकर के
वापस आता है
फिर कैसे कह
दिया जाता है
एक नहीं
कई कई बार
कब्र का हाल तो
बस मुर्दा ही
बता पाता है
ये सच होता है
या कई बार
बोला गया झूठ
जिसे बोलते बोलते
एक सच बना
दिया जाता है
वैसे भी एक मुर्दा
कभी दूसरे मुर्दे से
विचारों का आदान
प्रदान कहाँ
कर पाता है
मुर्दो की गोष्ठी या
मुर्दों की कार्यशाला
कभी कहीं हुई हो
ऎसा कहीं इतिहास
के पन्नों में भी तो
नहीं पाया जाता है
इस बात को बस
तभी कुछ थोड़ा
बहुत समझा जाता है
जब सामने सामने
बहुत कुछ होता
हुआ साफ साफ
सबको नजर आता है
हर कोई आँख
अपनी लेकिन बंद
कर ले जाता है
जैसे मुर्दा एक
वो हो जाता है
बोलता कुछ नहीं
मौत का सन्नाटा
चारों तरफ जैसे
छा जाता है
जब हो ही जाता है
अपने चारों और
कब्र का माहौल
खुद ही बनाता है
मुर्दा होकर जब
कब्र भी पा जाता है
उसके बाद फिर
बाहर कुछ भी
कहाँ आ पाता है
बस यूँ ही कह
दिया जाता है
अपनी कब्र का
हाल मुर्दा ही
बस बता पाता है । 

सोमवार, 26 दिसंबर 2011

गोष्ठी

संगोष्ठी में
निमंत्रित
किये गये
ईश्वर गौड
और अल्ला
क्रिसमस की
पूर्व संध्या थी
होना ही
था हल्ला
केक काटे गये
संगीत हुवा
ड्रिंक्स कैसे
नहीं बंटते
भला
बातों बातों में
प्रश्न हुवा
बातों का हमारी
आदमी को
कैसे पता
चला
स्टिग आप्रेशन
आदमी
की थी
कारस्तानी
मामला
जब खुला
सभी प्रतिभागी
एकमत थे
बहुमत से
आदमी को
नहीं माना
गया बला
बनाया हमने
पढ़ाया हमने
लड़ाया हमने
भुगतेगा
जैसा चाहो
आप सभी
कल मिल
कर ले आते हैं
चलो एक
जलजला।