उलूक टाइम्स: घर
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शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

बात

सुबह से
शुरू होती
है बात

रात सोने
तक चलती
है बात

घर से
निकलते
बाजार
में चलते
आफिस
पहुंचने
तक होती
है बात

और
यहां हैं
भी तो
बात
ही बात

सबकी
अपनी बात
एक
अनोखी बात

मेरी तू
सुन बात
तेरी मैं
सुनुंगा बात

मेरे पड़ौस
में भी
आज हुवी
एक बात

बाजार में
भी सुनी
मैंने एक
रसीली बात

कालेज में
भी थी
कुछ
चटपटी बात

हाय ये
कैसी
अनोखी
अजीब सी
है बात

इन सब
बात में
एक भी
ऎसी
नहीं बात

मैं कैसे
किस
मुंह से
बताउं वो
सब बात

यहां कोई
ऎसी वैसी
नहीं करता
कभी बात

सब बनाते
हैं अपनी
अपनी
एक बात

लिखते चले
जाते हैं
आसानी से
वो बात

कोई नहीं
बताना
चाहता
सही
सही बात

ये भी क्या
हुवी बात

कह डाली
एक बात
उस बात
पर भी
सिब्बल की
करो बात
मना कर
रहा है वो

क्यों कर
रहे हो बात।

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

विश्वविद्यालय स्थापना दिवस

टूटती हुवी
चीज कोई
दिखाई दे
तो स्थापना
उसकी करवाईये

स्थापना
करने से
सुना है
दोष निवारण
हो जाता है

की हुवी
गलतियों पर
पर्दा सा एक
गिर जाता है

पाप बोध होने से
वो बच जाता है
जिसने टूटते हुवे
उस चीज पर
दांव कभी
लगाया था

मेरा घर
अगर कभी
मेरे से
गलती से
टूट जायेगा

मैं स्थापना
अपने घर की
करवाउंगा

परेशान
ना होईये
साथ में दावत
भी खिलवाउंगा

मेरी संताने
मेरे को नहीं
कोस पायेंगी

टूटे घर के
अवशेष
के साथ

जब वे
स्थापना के
शिलान्यास के
पत्थर को भी
गड़ा पायेंगी।