उलूक टाइम्स: घुमाया
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मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

अपने दिमाग ने अपनी तरह से अपनी बात को अपने को समझाया होता है

कल का लिखा
जब कोई नहीं
पढ़ पाया होता है

फिर क्यों आज
एक और पन्ना

और उठा कर
ले आया होता है

कितनी बैचेनी
हो जाती है
समझ में ही
नहीं आती है

बस यही बात
कई बार
बात के ऊपर
बात रखकर
जब फालतू में
इधर से उधर
घुमाया होता है

पता होता है
होता है बहुत कुछ
बहुत जगहों पर

पर तेरे यहाँ का
हर आदमी तो जैसे
एक अलग देश से
आया हुआ होता है

तेरी समस्याओं
का समाधान
शायद होता हो
कहीं किसी
हकीम के पास

आम आदमी
कहीं भी किसी
चिकित्सक ने
तेरी तरह का नहीं
बताया होता है

नहीं दिख रहा है
कोई बहुत दिनों से
काम में आता हुआ

अलग अलग दल के
महत्वपूर्ण कामों
के लिये बहुत से
लोगों को बहुत सी
जगहों पर भी तो
लगाया होता है

हैलीकाप्टर उतर
रहा हो रोज ही
उस खेत में जहाँ पर

अच्छा होता है
अगर  किसी ने
धान गेहूँ जैसा
कुछ नहीं कहीं
लगाया होता है

आसमान
से उड़ कर
आने लगते हैं
गधे भी कई बार 


उलूक ऐसे में ही
समझ में आ जाता है
तेरी बैचेनी का सबब

खुदा ने
इस जन्म में
तुझे ही बस
एक गधा नहीं
खाली बेकार
का लल्लू
यानि उल्लू
इसीलिये शायद
बनाया होता है

अपनी अपनी
किस्मत
का खेल है प्यारे

कुछ ही
भिखारियों
के लिये
कई सालों में
एक मौका

बिना माँगे
भीख मिल
जाने का
दिलवाया
होता है ।