उलूक टाइम्स: चोर जेब
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शुक्रवार, 8 अगस्त 2014

समझौते होते हैं सब समझते हैं करने वाले बेवकूफ नहीं होते हैं

अपनी अच्छाइयों को
अपनी चोर जेबों
में छुपाये हुऐ
बस उसी तरह
जैसे छुपाना आसान
होता है अंधेरे में
अपनी परछाइयों को
समझौतों के तराजू
लिये फिर रहे हैं
गली गली
मजाल है कि
कोई पलड़ा
ऊँचा और कोई
नीचा हो जाये
तराजू भी हर
एक के पास
एक से समझौता ब्राँड
कहीं कोई चूक नहीं
हर एक के चेहरे पर
एक मुखौटा उसी तरह से
बचाव की मुद्रा में जैसे
लगा लेता है वैल्डिंग
करते समय आँखें
बचाने के लिये कोई
अच्छाई की शरम
गीली करती हुई जेबें
और समझौतों की
बेशर्मी से गरम होकर
खौलती फड़कती नसें
मेरी भी आदत में
आदतन शामिल
हो चुकी है उसी तरह
जिस तरह बंद
हो चुकी हों गीता कुरान
बाईबिल और रामायण
पढ़ने की कोशिश
करते करते किसी की
भारी बोझिल होते होते
आँखे और हर तरफ
फैल चुका हो चारों ओर
काला होता हुआ
सफेद कोहरे
में लिपटा हुआ
एक समझौता
एक ताबूत में
एक और कोशिश
हर किसी की
ताबूत के ढक्कन को
चाँदी से मढ़ कर
चमकदार बना देने की
ताकि गीली होती
चोर जेब से गिरती
शरम की गीली
ओस की बूँदे
साफ करती रहें
झूठ की चमक को
और सलामत रहे
हर किसी की
कुछ अच्छाई उसकी
चोर जेब में
बची रहे सड़ने से
समझौतों की सड़न से
बचते बचाते हुऐ
और समझौते होते रहें
यूँ ही मुखौटों की आड़ में
एक दूसरे के मुखौटों
की कतार के बीच
अच्छाइयाँ बची रहें
मिलें नहीं कभी
किसी की किसी से
समझौता करने
कराने के लिये
या खुद एक समझौता
हो जाने के लिये
अच्छाइयाँ
हर किसी की
होने के लिये ही
होती है बस
ताकी सनद रहे ।