उलूक टाइम्स: छत्र छाया
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सोमवार, 22 जुलाई 2013

तुलसीदास जी की दुविधा


सरस्वती प्रतिमा को
हाथ जोडे़ खडे़ 
तुलसीदास जी को
देख कर 
थोड़ी देर को अचंभा सा हुआ

पर
पूछने से 
अपने आप को
बिल्कुल भी ना रोक सका

पूछ ही बैठा 

आप और यहाँ
कैसे
आज दिखाई 
दे जा रहे हैं

क्या
किसी को 
कुछ
पढ़ाने के 
लिये तो नहीं
आप आ रहे हैं 

राम पर लिखा 
किसी जमाने में
उसे ही कहाँ अब कोई पढ़ पा रहा है 

बस
उसके नाम 
का झंडा
बहुतों 
के काम बनाने के काम में
जरूर 
आज आ रहा है 

हाँ
यहाँ तो बहुत 
कुछ है
नया नया
बहुत कुछ ऎसा जैसे हो अनछुआ

अभी अभी देखा
नये जमाने का नायक एक
मेरे 
सामने से ही जा रहा है 

उसके बारे में 
पता चला
कि 
हनुमान उसे यहाँ
कहा 
जा रहा है

हनुमान
मेरी 
किताब का 
नासमझ निकला

फाल्तू में
रावण से 
राम के लिये 
पंगा ले बैठा 

यहाँ तो 
सुना
रावण 
की संस्तुति पर
हनुमान 
के आवेदन को

राम
खुद ही 
पहुँचा रहा है 

समझदारी से देखो
कैसे
दोनों का ही 
आशीर्वाद
बिना पंगे 
के वो पा रहा है 

राम और रावण 
बिना किसी चिंता
2014 की फिल्म की भूमिका
बनाने 
निकल जा रहे हैं

हनुमान जी
जबसे 
अपनी गदा
यहाँ 
लहरा रहे हैं 

लंकादहन
के 
समाचार भी अब
अखबार 
में नहीं पाये जा रहे हैं

मैं भी
कुछ 
सोच कर
यहाँ 
आ रहा हूँ

पुरानी कहानी के 
कुछ पन्ने
हटाना 
अब चाह रहा हूँ

क्या जोडूँ 
क्या घटाऊँ
बस ये ही नहीं कुछ
समझ 
पा रहा हूँ 

विद्वानों की 
छत्र छाया 
शायद मिटा दे मेरी 
इस दुविधा को कभी

इसीलिये
आजकल 
यहाँ के चक्कर लगा रहा हूँ ।

चित्र साभार: 
https://www.devshoppe.com/blogs/articles/goswami-tulsidas

शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

बिल्ला कोई भी लगायेगा आदमी तो हो जायेगा

कितनी
भी बड़ी

तोप

तू
होता होगा


तेरा गोला
चलकर 
भी

फुस्स
हो जायेगा


किसी
भी गलत
मुद्दे को 


 तू
सही
ठहराने
की
मुहिम में
हार जायेगा


कोई भी
तेरे साथ

में नहीं
आ पायेगा


एक ना
एक दिन

लटका
दिया जायेगा


बिना
किसी बात के


मुश्किल
में भी फंसा

कहीं
दिया जायेगा


अपने पत्ते
अगर

नहीं उनको
दिखायेगा


तेरे होने
ना होने से

यहाँ
कुछ नहीं होता


जो भी होता है

माथे पे लिखे हुऎ
बिल्ले से होता है

तेरा होना यहाँ

भाजपा
या काँग्रेस

वाला ही
बता पायेगा


दो में
नहीं होना भी

थोड़ा बहुत
चल जायेगा


तीसरे
फ्रंट से कहीं

तेरा तार
अगर जुड़ा

उन्हें कहीं
दिख जायेगा


मुश्किल
में होने पर

होना कहीं ही
तेरे को
बचा ले जायेगा


एक दिन
तू बचेगा

कभी तू भी
किसी को

बचा कर
निकाल
के
ले आयेगा


कहीं
नहीं होने वाला


अपनी
आवाज से


 बस
कुछ कौऎ


 और
कबूतर ही

उड़ा पायेगा

दल में
नहीं घुस सके


संगठन
से उसके

जा कर भी
अगर
कहीं
जुड़ जायेगा


मुश्किलें
पैदा करना

किसी के लिये भी

तेरे लिये
आसान

बहुत
हो जायेगा


हर कोई

तेरे से

राय फिर
जरूर 
लेने
के लिये आयेगा


चुनाव
के दिनों

को छोड़कर

बाकी
दिनों की

समस्या में

तू

कहाँ है
ये नहीं

देखा जायेगा

तेरे
दर्द के लिये


उधर
वाला भी

अपने झंडे
दिखा 
कर
जलूस बनायेगा


सबके
दिल में

होगा तू
इधर भी

और
उधर भी


तेरा नाम
किसी 
की
जबान पर

कहीं भी
नहीं आयेगा


मेरी
एक पते

की बात
अगर


 तू
मान जायेगा


सोनिया, मोदी,

वृंदा या माया दीदी

में से
किसी की

छाया भी

अगर

कहीं
पा जायेगा


तेरा
अस्तित्व


 उस दिन
उभर 
कर
निखर जायेगा


कौड़ी
का भाव

जो आज है तेरा

करोड़ों
के मोल 
का
हो जायेगा


कुछ
लोगों के

लिये कुछ
करने वालों मे
गिन लिया जायेगा

ये सब
तभी
संभव
हो पायेगा


जब
बिल्ला
कोई एक

माथे पर
आज भी

अपने
लिखवायेगा


ऎसे ही
चलता
रहा

बिना छत्र

छाया के अगर

कौन
तेरा भला

कुछ कर पायेगा

लावारिस
में गिना 

जाता है आज भी

लावारिस
हमेशा

के लिये
हो जायेगा ।