उलूक टाइम्स: छोटी
छोटी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
छोटी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 9 जुलाई 2014

बात अगर समझ में ही आ जाये तो बात में दम नहीं रह जाता है

एक
छोटी सी
बात को 

थोड़े से
ऐसे शब्दों
में कहना
क्यों नहीं
सीखता है

जिसका अर्थ
निकालने में
समझने में
ताजिंदगी
एक आदमी
शब्दकोषों
के पन्नों को
आगे पीछे
पलटता हुआ
एक नहीं
कई कई बार
खीजता है

बात समझ में
आई या नहीं
यही नहीं
समझ पाता है

जब बात का
एक सिरा
एक हाथ में
और
दूसरा सिरा
दूसरे हाथ में
उलझा हुआ
रह जाता है

छोटी छोटी
बातों को
लम्बा खींच कर
लिख देने से
कुछ भी
नहीं होता है

समझ में
आ ही गई
अगर एक बात
बात में दम ही
नहीं रहता है

कवि की
सोच की तुलना
सूरज से
करते रहने
से क्या होता है

सरकारी
आदेशों की
भाषा लिखने वाले
होते हैं
असली महारथी

जिनके
लिखे हुऐ को

ना
समझ लिया है
कह दिया जाता है

ना ही
नहीं समझ में
आया है कहा जाता है

और
‘उलूक’
तू अगर
रोज एक
छोटी बात को
लम्बी खींच कर
यहाँ ले आता है

तो कौन सा
कद्दू में
तीर मार
ले जाता है ।

मंगलवार, 27 अगस्त 2013

छोटी करना बात को नहीं सिखायेगा तो लम्बी को ही झेलने के लिये आयेगा

कबीर सूर तुलसी
या
उनके जैसे कई और ने
पता नहीं कितना कुछ लिखा
लिखते लिखते इतना कुछ लिख दिया
संभाले नहीं संभला

कुछ बचा खुचा जो सामने था
उसपर भी ना जाने
कितनो ने कितना कुछ लिख दिया

शोध हो रहे हैंं
कार्यशालाऎं हो रही हैं
योजनाऎं चल रही हैं
परियोजनाऎं चल रही हैं

एक विद्वान
जैसे ही बताता है 
इसका मतलब ये समझ में आता है
दूसरा
दूसरा मतलब निकालने में
तुरंत ही जुट जाता है

स्कूल जब जाता था 
बाकी बहुत कुछ 
समझ में आ ही जाता था

बस इनके लिखे हुऎ को
समझने की कोशिश में ही
चक्कर थोड़ा सा आ जाता था
कभी किसी को ये बात नहीं बता पाता था
अंकपत्र में भाषा में पाये गये अंको से
सारा भेद पर खुल ही जाता था

कोई भी इतना सब कुछ
अपने एक छोटे से जीवन में
कैसे लिख ले जाता होगा
ये कभी भी समझ में नहीं आ पाता था

ये बात अलग है
उनके लिखे हुऎ का भावार्थ निकालने में
अभी भी वही हालत होती है
तब भी पसीना छूट जाता था

मौका मिलता तो 
एक बार इन लोगों के
दर्शन करने जरूर जाता
कुछ अपनी तरफ से
राय भी जरूर दे के आता

एक आईडिया
कल ही तैरता हुआ दिख गया था यहीं
उसी को लेकर कोई कहानी बना सुना आता

क्यों इतनी लम्बी लम्बी 
धाराप्रवाह भाषा में लिखते चले जा रहे हो

घर में बच्चे नहीं हैं क्या
जो सारी दुनियाँ के बच्चों का दिमाग खा रहे हो

सीधे सीधे भी तो बताया जा सकता था

एक राम था
रावण को मार के अपनी सीता को
वापस लेकर घर तक आया था

फिर सीता को जंगल में छोड़ कर आया था

किस को पता चल रहा था
कि बीच में 
क्या क्या हो गया था

कोई बात नहीं जो हो गया था सो हो गया था
अब उसमें कुछ नहीं रह गया था

इतना कुछ लिख गये
पर अपने बारे में
कहीं भी कुछ आप नहीं कह गये
सारा का सारा प्रकाश बाहर फैला कर गये

पता भी नहीं चला
कैसे सारे अंदर के अंधकारों पर
इतनी 
सरलता से विजय पा कर गये
सब कुछ खुद ही पचा कर गये
लेकिन एक बात 
तो पक्की सभी को समझा कर गये

लिखिये तो इतना लिखिये
कि
पढ़ने वाला 
उसमें खो जाये

समझ में आ ही जाये कुछ 
तो अच्छा है
नहीं आये तो पूरा ही पागल हो कर जाये

कह नहीं पाये
इतना लम्बा क्यों लिखते हो भाई
कि
पढ़ते पढ़ते कोई सो ही जाये।


चित्र साभार: https://webstockreview.net/explore/sleeping-clipart-yawning/

मंगलवार, 28 मई 2013

सरकार होती है किसकी होती है से क्या ?


अब भाई होती है 
हर जगह एक सरकार बहुत जरूरी होती है 

चाहे बनाई गयी हो 
किसी भी प्रकार 
घर की सरकार दफ्तर की सरकार
शहर की सरकार जिला प्रदेश होते हुऎ
पूरे देश की सरकार 

कुछ ही लोग बने होते हैं 
सरकार बनाने के लिये 
उनको ही बुलाया जाता है हमेशा हर जगह 
सरकार को चलाने के लिये 

कुछ नाकारा भी होते हैं 
बस सरकार के काम करने के तरीके पर 
बात की बात बनाने वाले 

काम करने वाले
काम 
करते ही चले जाते हैं 
बातें ना खुद बनाते हैं 
ना बाते बनाने वालों की बातों से
परेशान 
हो गये हैं कहीं दिखाते हैं 

छोटी छोटी सरकारें 
बहुत काम की सरकारें होती हैं 

सभी दल के लोग
उसमें 
शामिल हुऎ देखे जाते हैं 
दलगत भावनाऎं
कुछ 
समय के लिये अपने अंदर दबा ले जाते हैं 

बडे़ बडे़ काम 
हो भी जाते हैं पता ही नहीं चलता है 
काम करने वाले काम के बीच में
बातों को 
कहीं भी नहीं लाते हैं 

छोटी सरकारों से 
गलतियाँ भी नहीं कहीं हो पाती है 
सफाई से हुऎ होते हैं 
सारे कामों के साथ साथ 
गलतियाँ भी आसानी से सुधार ली जाती हैं 

तैयारी होती है तो 
मदद भी हमेशा 
मिल ही जाती है 
गलती खिसकती भी है तो
अखबार तक पहुँचने 
से पहले ही पोंछ दी जाती है 

ज्यादा परेशानी होने पर 
छोटी सरकार के हिस्से 
आत्मसम्मान अपना जगाते हैं 
अपनी अपनी पार्टी के झंडे निकाल कर ले आते हैं 

मिलकर काम करने को 
कुछ दिन के लिये टाल कर
देश बचाने के 
काम में लग जाते हैं 
बड़ी सरकार की बड़ी गलतियों से
छोटी सरकारों की छत्रियां बनाते हैं 

बडी सरकार में भी 
तो
इनके पिताजी 
लोग ही तो होते हैं 
वो भी तुरंत कौल का गेट बंद कर कुछ दिन 
आई पी एल की फिक्सिंग का ड्रामा 
करना शुरु हो जाते हैं । 

चित्र साभार: https://www.gograph.com/