उलूक टाइम्स: जन्माष्टमी
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शनिवार, 5 सितंबर 2015

‘उलूक’ व्यस्त है आज बहुत एक सपने के अंदर एक सपना बना रहा है

                                                    

काला चश्मा लगा कर सपने में अपने
आज बहुत ज्यादा इतरा रहा है 
शिक्षक दिवस की छुट्टी है खुली मौज मना रहा है 

कुछ कुछ खुद समझ रहा है 
कुछ कुछ खुद को समझा रहा है 
समझने के लिये अपना गणित 
खुद अपना हिसाब किताब लगा रहा है 

सपने देख रहा है देखिये जरा क्या क्या देख पा रहा है 

सरकारी आदेशों की भाषाओं को तोड़ मरोड़ कर 
सरकार को ही आईना दिखा रहा है 

कुछ शिष्यों की इस दल में भर्ती 
कुछ को उस दल में भरती करा रहा है 
बाकी बचे खुचों को वामपंथी बन जाने का पाठ पढ़ा रहा है 

अपनी कुर्सी गद्दीदार बनवाने की 
सीड़ी नई बना रहा है 
ऊपर चढ़ने के लिये ऊपर देने के लिये 
गैर लेखा परीक्षा राशि ठिकाने लगा रहा है 

रोज इधर से उधर रोज उधर से इधर 
आने जाने के लिये चिट्ठियाँ लिखवा रहा है 
डाक टिकट बचा दिखा पूरी टैक्सी का टी ऐ डी ऐ बनवा रहा है 
सरकारी दुकान के अंदर अपनी प्राईवेट दुकान धड़ल्ले से चला रहा है 
किराया अपने मित्रों के साथ मिल बांट कर खुल्ले आम खा रहा है 

पढ़ने पढा‌ने का मौसम तो आ ही नहीं पा रहा है 
मौसम विभाग की खबर है कुछ ऐसा फैलाया जा रहा है 

कक्षा में जाकर खड़े होना शान के खिलाफ हो जा रहा है 
परीक्षा साल भर करवाने का काम ऊपर का काम हो जा रहा है 

इसी बहाने से 
तू इधर आ मैं उधर आऊँ गिरोह बना रहा है 
कापी जाँचने का कमप्यूटर जैसा होना चाह रहा है 

हजारों हजारों चुटकी में मिनटों में निपटा रहा है 
सूचना देने में कतई भी नहीं घबरा रहा है 

इस पर उसकी उस पर इसकी दे जा रहा है 
आर टी आई अपनी मखौल खुद उड़ा रहा है 

शोध करने करवाने का ईनाम मंगवा रहा है 
यू जी सी के ठेंगे से ठेंगा मिला रहा है 

सातवें वेतन आयोग के आने के दिन गिनता जा रहा है 
पैंसठ की सत्तर हो जाये अवकाश की उम्र 
गणेश जी को पाव लड्डू खिला रहा है 

किसे फुरसत है शिक्षक दिवस मनाने की 
पुराना राधाकृष्णन सोचने वाला घर पर मना रहा है 

‘उलूक’ व्यस्त है सपने में अपने 
उससे आज बाहर ही नहीं आ पा रहा है 

कृष्ण जी की कौन सोचे ऐसे में 
जन्माष्टमी मनाने के लिये 
शहर भर केकबूतरों से कह जा रहा है 

सपने में एक सपना देख देख खुद ही निहाल हुऐ जा रहा है 

'उलूक' उवाच है किसे मतलब है कहने में क्या जा रहा है । 

चित्र साभार: www.clipartsheep.com

शुक्रवार, 4 सितंबर 2015

शिक्षक दिवस इस बार राधा के साथ कृष्ण और राधाकृष्णन साथ मनाते होंगे

कम नहीं हैं बहुत हैं
होने वाले कुछ
कृष्ण हो जायेंगे
कुछ बांसुरी भी छेड़ेंगे
कुछ अपनी कुछ
राधाओं के संग
कुछ रास रचायेंगे
कुछ अर्जुन भी होंगे
कुछ दुर्योधनों के
साथ चले जायेंगे
कुछ कहीं गीता
व्यास की बाँचेंगे
कुछ गुरु ध्यान
करना शुरु हो जायेंगे
शिक्षा की कुछ बातें
कुछ की कुछ बातों
में से ही निकल
कर बाहर
कुछ आयेंगी
कुछ शिक्षा
और कुछ
शिक्षकों के
संदर्भ की
नई कहानियाँ
बन जायेंगी
कुछ गीत होंगे
कुछ कविताऐं भी
सुनाई जायेंगी
कुछ शिक्षक होंगे
कुछ फूल होंगे
कुछ शाल होंगे
कुछ मालायें होंगी
कुछ चेहरे होंगे
कुछ मोहरे होंगें
कुछ खबरों में होंगे
कुछ तस्वीरों में होंगे
बनेगा अवश्य ही
कुछ अद्भुत संयोग
कुछ इस बार के
शिक्षक दिवस पर
कुछ ना कुछ तो
बन ही रहा है योग
शिक्षा के पीले वृक्ष
को जड़ उखाड़ कर
कुछ परखा जायेगा
मिट्टी पानी
हवा हटा कर
कंकरीट डाल फिर
मजबूत किया जायेगा
हर बार की तरह नहीं
इस बार कुछ अलग
कुछ नये इरादे होंगे
राधाकृष्णन
की यादें होंगी और
वहीं साथ में राधा के
कृष्ण के साथ किये
कुछ पुराने वादे होंगे
‘उलूक’ पता नहीं
कौन सा दिन मनायेगा
कुछ तो करेगा ही
हेड टेल करने के लिये
एक सिक्का पुराना
ढूँढ कर कहीं से
जरूर ले कर आयेगा।

चित्र साभार:
www.pinterest.com
livechennai.com

रविवार, 17 अगस्त 2014

हे कृष्ण जन्मदिन की शुभकामनाऐं तुम्हें सब मना रहे हैं और जिसे देने तुम्हें सारे कंस मामा भी हमारे साथ ही आ रहे हैं

दो ही दिन हुऐ हैं 
जश्ने आजादी का मनाये हुऐ 
हे कृष्ण 

आज तेरा जन्म दिन 
मनाने का अवसर हम पा रहे हैं 
दिन भर का व्रत करने के बाद 
शाम होते होते दावत फलाहार की
तुझे भोग 
लगा कर खुद खा 
और बाकी को साथ में भी खिला पिला रहे हैं 

दादा दादी माँ पिताजी 
से बचपन में सुनी कहानियाँ
याद 
साथ साथ करते भी जा रहे हैं 

कितने मारे 
कितने तारे गिनती करने में 
आज भी याद नहीं आ पा रहे हैं 
सभी का हो चुका था संहार सुना था 
कुछ बचे थे शायद भले लोग 
कुछ गायें कुछ ग्वाले कुछ बाँसुरी की धुन और तानें 
आज भी सुन और सुना रहे हैं 

आज ही की 
बात नहीं है कृष्ण 
तेरे बारे में सुनते सुनते 
अब खुद अपने जाने के दिनों के 
बारे में भी कुछ सोचते जा रहे हैं 

नहीं हुई भेंट तुझसे 
कहीं घर में मंदिर में 
रास्ते में आदमी ही आदमी आते जाते भीड़ दर भीड़ 
हम खुद ही खोते जा रहे हैं 

कंस से लेकर 
शकुनि ही शकुनि 
घर से लेकर मंदिर तक में नजर आ रहे हैं 

गीता देकर गये थे 
तुम अपनी याद दिलाने के लिये 
पाप करने के बाद शपथ उसी पर आज 
हम हाथ रख कर खा रहे हैं खिला रहे हैं 

हैप्पी बर्थ डे कृष्ण जी 
कहने हमेशा हर साल 
याद कर लेना तुम भी सभी संहार किये गये 
उस समय के और इस समय के
हो चुके 
तुम्हारे भक्त गण 
मेरे साथ मेरे आस पास मिलकर
हरे कृष्ण हरे कृष्ण 
गाते गाते तालियाँ भी साथ में बजा रहे हैं ।