उलूक टाइम्स: जाना
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रविवार, 1 सितंबर 2019

कभी खरीदने आना होता है कभी बेचने जाना होता है आना जाना बना कर ही संतुलन बनाना होता है


कुछ
शब्दों को
इधर

कुछ
शब्दों को
उधर

ही तो
लगाना होता है

बकवास
करने में
कौन सा
किसी को

व्याकरण
साथ में
समझाना
होता है

कौमा
हलन्त चार विराम
अशुद्धि
चंद्र बिंदू
सीख लेना
बोनस
बनाना होता है

उनके लिये
जिन्हें
एक ही बात से
दो का मतलब
निकलवाना होता है

रोज का रोज
उगल दिया जाना

जमाखोरों
की
जमात में जाने से
खुद को
बचाना होता है

केवल
संडे मार्केट में
दुकान
लगाने वाले के लिये

एक
बड़ी मुश्किल
माल को
ठिकाने
लगाना होता है

लोकतंत्र में
कुछ भी
बेच लेने वाले
के
बोलबाले
का
दिवाना
सारा जमाना होता है

‘उलूक’
खाली
हो जायेगी
दुकान
कहना छोड़

सपने में
भी
खाली
देख लेने
वाले को

सबसे पहले
अन्दर
जाना होता है ।

चित्र साभार: https://www.ttu.ee

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

अब के तो छा जाना गलती मत दोहराना मलहम आने वाला है



अपने
आस पास 
गन्ने के खेत जैसे उगे हुऎ 

पता नहीं कितने 
पर देखे जरूर थे पिछली बार 
बहुत सारे अन्ना 

नतमस्तक 
हो गया था 
साथ में
कुछ दुखी भी 
हो गया था 
कहीं भी
किसी भी 
खेत में
नहीं 
उग पाया था 
बहुत झल्लाया था 

इस बार 
चांस हाथ से नहीं जाने दूंगा 
चाहे धरती पलट जाये 
मौका भुना ही लूंगा

फिर से
क्योंकी 
लग रहा है कुछ होने वाला है 
सुगबुगाहट सी दिख रही है साफ 
पिछली बार के कलाकारों में

सुना है
जल्दी ही 
इस बार वो
रामदेव 
हो जाने वाला है 

अन्ना हो गये रामदेव 
का समाचार भी 

इन
रामदेवों के 
अपने अखबार का संवाददाता

इस बार भी 
इनकी रोज आने वाली 
खबर की
जगह पर 
ही देने वाला है

सोच कर दीजियेगा 
अपनी खबर इन दिनो आप भी जरा 

आपकी खबर भी 
इनकी खबर में 
रोज की तरह मिलाकर 
वो आप से मजे भी लेने वाला है 

बस एक सबक 
सिखा गया अन्ना इन अन्नाओं को 

काम
अपने रोज के 
छोड़ के
कोई भी 
अन्ना यहां का 
नहीं इस बार मैदान में आने वाला है 

पीछे से
लंगड़ी 
देने वाला है 
गिराने वाला है 

सामने से
आकर 
उठाने वाला है 
रामदेव का मलहम 
मुफ्त में दे के जाने वाला है।

चित्र साभार: 
http://www.theunrealtimes.com/