उलूक टाइम्स: ज्ञान
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गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

बातें करिए बातें बोइये बातें खेलिए करना किसी को नहीं है कुछ कहीं

कोशिश करते रहिये
कहने की सच
बात अलग है
कहने भर से ही बस काम नहीं हो जाएगा
जो कहा गया है उसको
किसी हजूर के तराजू में तोला भी जाएगा
बांट लिखने वाले के होंगे भी नहीं
कोर्ट कचहरी की अंधी मूर्ती से भी
काम नहीं चल पायेगा
आप से बस
हमेशा जोर लगा कर पूछा जाएगा
आप क्या सोच रहे हो
आपकी सोच को
इस तरह
सार्वजनिक किया जाएगा
सब शामिल हैं
इस खेल में घर से लेकर मैदान तक
बल्ला आपको दिए बिना
आपसे क्रिकेट खेलने को कहा जाएगा
बातें करिए बातों मैं कहीं भी आपको
आयकर लगा नजर नहीं आयेगा
जो जितना लंबा फेंकेगा
सोने का मैडल उसी के हाथ नजर आयेगा
प्रतिस्पर्धा कहीं है ही नहीं
मुकाबला करने आने वाले की
मुट्ठी गरम कर उसे
गीता का ज्ञान दिया जाएगा
एक ही चेहरे के साथ जीने वाले को
नरक ज्ञान की आभासी दुनियाँ
से भटका कर स्वर्गलोक में
होने का आभास
बातों से ही दे दिया जाएगा
बातें करिए बातें बोइये बातें खेलिए
करना किसी को नहीं है कुछ कहीं
‘उलूक’ तू खुद सोच ले
अपने दिन का सपना
तेरा रात का बकबकाना ही कहीं
तेरा फांसी का फंदा
तेरे लिए तो नहीं एक बन जाएगा ?

चित्र साभार : https://navbharattimes.indiatimes.com/

सोमवार, 27 जुलाई 2020

खराब समय और फूटे कटोरे समय के थमाये सब को सब की सोच के हिसाब से रोना नहीं है कोई रो नहीं सकता है



समय खराब है बहुत खराब है 

इतना खराब है 
इससे खराब होगा 
कहे बिन कोई रह नहीं सकता है

 खासियत है 
इस खराब समय की
जैसा है ऐसा
कई दशकों तक फिर कभी होगा
पक्का
कोई कह नहीं सकता है

 कुछ हो ना हो
हर किसी के पास इस समय
समय का दिया
किसी ना किसी तरह का
एक फूटा कटोरा है
जो कभी
चोरी हो नहीं सकता है

 किसी कटोरे में भूख है
किसी कटोरे में प्यास है
किसी कटोरे में आस है
किसी कटोरे में विश्वास है

पर है
सबके पास है
एक कटोरा 
है 
जिसे कोई
किसी हाल में भी
खो नहीं सकता है

किसी छोटे का छोटा 
है तो
किसी बड़े का इतना बड़ा 
है कि
सारे कटोरे उस में समा जायें

कटोरों का
ऐसा दुर्लभ महासम्मेलन
फिर कब हो

ऐसा मौका कटोरे वाला खो नहीं सकता है

ज्ञानी समझा रहे हैं
ज्ञानियों की मजबूरी भी है
ज्ञान बाँटना

ना बाँटें
तो खुद उनका ज्ञान
छलकना शुरु हो जाये

सम्भालना ही
 मुश्किल हो जाये
उनको ही गजबजाये

यहाँ वहाँ
खेत खलिहान सड़क मैदान
ज्ञान से लबालब हो जायें

ज्ञान की बाढ़ में
ज्ञानी डूब कर मर खप जायें

मुश्किल ये है
कि
छलछलाता छलबलाता ज्ञान
किसी तरह
थोड़ा सा हर कटोरे में चला जाये

हर किसी के पास
कुछ हो जाये

और आते आते रह गया
अच्छा समय
हौले से धीरे से पास आकर

कटोरे लिये हुओं को खटखटाये

तैयार रहें फिर से आ रहा हूँ
 कटोरा ले कर
इस बार भी दें एक मौका और

याद करते हुऐ
कटोरे में कटोरा
बेटा बाप से भी गोरा

‘उलूक’
ठंड रख मान भी जा
तेरा कुछ नहीं हो सकता है

अपना कटोरा
सम्भाल के किसलिये रखता है
फूटा कटोरा है
चोरी हो नहीं सकता है ।

चित्र साभार: https://blair.holliefindlaymusic.com/

मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

कौन जानता है किस समय गिनती करना बबाल हो जाये

गिनती करना
जरूरी नहीं हैं
सबको ही आ जाये
कबूतर और कौऐ
गिनने को अगर
किसी से कह
ही दिया जाये
कौन सा बड़ा
गुनाह हो गया
अगर एक कौआ
कबूतर हो जाये
या एक कबूतर की
गिनती कौओं
मे हो जाये
कितने ही कबूतर
कितने ही कौऔं को
रोज ही जो देखता
रहता हो आकाश में
इधर से उधर उड़ते हुऐ
उससे कितने आये
कितने गये पूछना ही
एक गुनाह हो जाये
सबको सब कुछ
आना भी तो
जरूरी नहीं
गणित पढ़ने
पढ़ाने वाला भी
हो सकता है कभी
गिनती करना
भूल जाये
अब कोई
किसी और ज्ञान
का ज्ञानी हो
उससे गिनती
करने को कहा
ही क्यों जाये
बस सिर्फ एक बात
समझ में इस सब
में नहीं आ पाये
वेतन की तारीख
और
वेतन के नोटों की
संख्या में गलती
अंधा भी हो चाहे
भूल कर भी
ना कर पाये
ज्ञानी छोड़िये
अनपढ़ तक
का सारा
हिसाब किताब
साफ साफ
नासमझ के
समझ में
भी आ जाये !