उलूक टाइम्स: डा. जे सी पंत
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गुरुवार, 27 मार्च 2014

आर आई पी डा. जे सी पंत

बहुत बार समझाया
दिखा कर उदाहरण
कई बार बातों बातों
में सब कुछ बताया
अभी समय है
बना ले किसी
सोशियल नेट्वर्किंग
साईट पर अपना
एक प्रोफाईल
नहीं समझ में आया
बिना बनाये कुछ भी
दुनियाँ से ही चल दिया
हाय कितनी बड़ी गलती
तुझे पता नहीं तू कर गया
वर्किंग साईट पर क्या
होना था कुछ अनोखा
वही हुआ जिसके होने का
अब एक फैशन
सा  है हो गया
पता चलते ही
शोक सभा करने का
फैसला लिया गया
किसी को बिना बताये
एक कागज में कुछ
टाईप कर लिया गया
सैकडॉं कामगारों में से
किसी को तंग किये बगैर
इधर उधर जाते कुछ
लोगों को बस एक
इशारा सा किया गया
दस बारह होते ही
कागज से शोक संदेश
पढ़ दिया गया
तेरा तो किसी को
कुछ भी पता नहीं चला
कहाँ से कब किधर के
रास्ते ऊपर को चला गया
समय किसी के पास
कहाँ है अब रह गया
रोज का रोज कभी
एक जाता है कभी
पता चलता है
दो चार दिन बाद भी
ये भी गया और
वो भी गया
अर्थी उठाने और
कंधा लगाने की बात
बहुत पुरानी हो
गई है अब तो
राम नाम सत्य है
कह कर जाता हुआ
एक हुजूम देखना तक
दूभर सा हो गया
यहाँ कहीं लगा होता
तेरा फोटो कहीं भी अगर
नहीं रह जाता कहने
को इतना सा भर
कोई नहीं आया और
नहीं कुछ भी
किसे से कह गया
तुझे पता नहीं चलता
ये तो हमें भी पता
अब चल ही गया
पर कुछ देखने वाले
देख लेते तेरी
फोटो के नीचे से
दो चार ने कम से कम
उसे लाईक कर दिया
कुछ लिख लेते हैं
कुछ कुछ कभी कभी
श्रद्धांजलि या आर आई पी
फोटो के नीचे लिखना
बहुत कामन सा
अब हो ही गया
क्यों नहीं बना गया
फेसबुक में अपना
प्रोफाईल कम से कम
बुरा लग रहा है
ऐसे कैसे तू
इस दुनियाँ से
ही चल दिया ।