उलूक टाइम्स: ढटुआ
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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

राज काज


़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
नैनीताल समाचार में छपी थी मेरी कुछ लाइने कुछ वर्ष पूर्व।
वहाँ त्रिवार्षिक कार्यकाल वालों के लिये था।
यहां त्रिवार्षिक बदल कर पंचवर्षीय कर दे रहा हूँ।
शेष लाइने वही हैं ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
कुत्तों की सभा का पंचवर्षीय चुनाव
गीदड़ ने पहना ताज 
ऎल्सेशियन से बुलडौग लडा़या
पौमेरियन एप्सो को छोटा बतलाया
ये था इसका राज 
ये था इसका राज गीदड़ अब रेवड़ी बांटे
कुत्ता अब कुत्ते को काटे कोई ना रहा अपवाद
कोई ना रहा अपवाद
ढटुओं को अब रोना आया 
रोते रोते अलख जगाया गये शेर की मांद
शेर गुर्राया
डर डर कर कुत्तों ने फरमाया
हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजामें गुलिस्ताँ क्या होगा 
सुन शेर को गुस्सा आया पी0 ए0 को आदेश लिखाया
क्यों शाख पर उल्लू बैठाया
तुरंत जाओ कुत्ता देश
तुरंत जाओ कुत्ता देश शाख को काट के लाओ
उल्लू को आकाश उड़ाओ 
हुवा पालन आदेश उल्लू अब गीदड़ पर बैठे 
कुत्ता राज गीदड़ राजा
ना रहे उल्लू ना रही अब शाखा ।

[ढटुआ = Street Dog]

चित्र साभार: https://www.istockphoto.com/