उलूक टाइम्स: नीचे
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गुरुवार, 6 अगस्त 2015

ऊपर वाले ऊपर ही रहना नीचे नहीं आना

हे ऊपर वाले
तू ऊपर ही रहना
गलती से भी
भूल कर कभी
सशरीर नीचे
मत चले आना
सर घूम जाता है
समझ में नहीं
आ पाता है
जब तेरे झंडों
और नारों के
साथ ही इतना
बबाल कर
दिया जाता है
क्या होगा अगर
कोई देख लेगा
सामने से साक्षात
चलता हुआ
ऊपर वाला खुद
अपने ही पैरों पर
धरती पर आकर
चलना शुरु
हो जाता है
कहाँ जायेगा
ऊपर वाला जब
यहाँ आ ही जायेगा
प्रधानमंत्री के
साथ जायेगा या
आम आदमी
के साथ जायेगा
मंदिर में रहेगा
मस्जिद में रहेगा
या किसी गुरुद्वारे
में जा कर
बैठ जायेगा
संसद में पहुँच
गया अगर
कौन से दल के
नेता से जाकर
हाथ मिलायेगा
किस तरह
का दिखेगा
क्या कोई
पहचान भी
पायेगा
हे ऊपर वाले
तेरे नहीं होने से
यहाँ थोड़े बहुत
मर कट रहे हैं
तेर नाम पर ही
तू आ ही गया
सच में बड़ा एक
बबाल हो जायेगा
रहने दे ऊपर ही
कहीं बैठ कर
कर जो कुछ भी
तेरे बस का है
गलती से
उतर आयेगा
अगर नीचे
उतना कुछ भी
नहीं कर पायेगा
नोचने दे अपने
नाम पर नोचने
वालों को नीचे
हो सकता है
तुझे ही शायद
पहचान नहीं
होने से नोच
दिया जायेगा
अगर किसी को
नीचे कहीं
नजर आ जायेगा ।

चित्र साभार: pupublogja.nolblog.hu

सोमवार, 22 सितंबर 2014

सब कुछ नीचे का ही क्यों कहा जाये जब कभी ऊपर का भी होना होता है

ऊपर
पहुँचने पर

अब
ऊपर
कहने पर

पूछ
मत बैठना

कौन सा ऊपर

वही ऊपर
जहाँ से ऊपर

सुना है
कुछ भी
नहीं होता है

बचा कुचा
बाकी जो
भी होता है

सब
उस ऊपर
के नीचे
ही होता है

हाँ
तो उस ऊपर

अब
मुझे ही
कुछ संशय
यहाँ होना
यहीं से
शुरु होता है

ऊपर
अगर पहुँच
भी गया तो

कहाँ
भेजा जायेगा

दो जगह

यहाँ
नीचे वालों को
समझाई
गई होती हैंं 

जिंदा
रहते रहते

एक
ऊँची जगह
पर स्वर्ग

और
एक
नीची जगह
पर नरक
होता है

अब
ऐसी बात
पूछी भी
किससे जाये

पता नहीं
किस किस को
उस ऊपर
के बारे में

क्या क्या
पता होता है

यहाँ के
हिसाब से
इस जमाने में
सही ही
सही होता है

और
सही का ही
बहुमत होता है

अल्पमत वाला
हमेशा ही
गलत होता है

सही को
देख देख कर
खुंदक में
कुछ ना कुछ
कहता रहता है

उसी को
कहना होता है
उसी कहने को
उसी को
सुनना भी होता है

याद
ना रह जाये कहीं
बहुत दिनों तक

इसलिये
लिख लिखा के
कहीं पर
रख देना होता है

इस सब
लिखे लिखाये
के
हिसाब किताब
पर ही

ऊपर
जा कर के
कर देना होता है

‘उलूक’
नीचे के सारे
स्वर्गवासियों के साथ

जिसे
नहीं रहना होता है

उसे
ऊपर जाकर भी

ऊपर के
नीचे वाले में
ही रहना होता है ।

चित्र साभार: http://theologyclipart.com/