उलूक टाइम्स: नीलाम
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बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

क्या बिका किसका बिका बेचना खरीदना कुछ भी बहुत आसान हो गया

किस कदर चाहता है
किसी को कोई सोचिये
कत्लेआम हो गया
अपने ईमान की खातिर
देखिये तो सही
जरा गौर से
उसका कुछ
नीलाम हो गया
इससे पहले भी
आये कई आशिक
कई मर खप गये
कुछ हुआ या नहीं हुआ
समझने की जरूरत नहीं
एक गुलाम का अपना
एक मकान हो गया
आजादी मिली
सब कुछ लुटा कर भी
गरीब का बिकते बिकते
बहुत कुछ बिकाऊ
अपनी ही बाजार का
कीमती सामान हो गया
सुने बहुत से तीरंदाज
पैदा होने से पहले के अपने
झूठ बोला होगा किसी ने
बहुत चतुराई से यूँ ही
किसी का कुछ
नहीं दिखा कहीं
किसी की खातिर
जो नीलाम हो गया
मंदिर बना कर
हर गली कूचे में
हे भगवान कहाँ गया
अंतरध्यान हो गया
देखता चल आँख
बंद कर ‘उलूक’
पता चलेगा किसी दिन
तुझे भी किसी चौराहे पर
अपने घर को
बचाने के लिये बिकना
जरूरी सरे आम हो गया ।

चित्र साभार: sketchindia.wordpress.com

शनिवार, 11 मई 2013

फिर देख फिर समझ लोकतंत्र



रोज एक
लोकतंत्र समझ में आता है
तू फिर भी लोकतंत्र समझना चाहता है 

क्यों तू
इतना बेशरम हो जाता है 
बहुमत को
समझने में सारी जिंदगी यूँ ही गंवाता है

बहुमत
इस देश की सरकार है
क्या तेरे भेजे मेंये नहीं घुस पाता है 

देखता नहीं
सबसे ज्यादा 
मूल्यों की बात उठाने वाला ही तो 
मौका आने पर
अपना बहुमत अखबार में छपवाता है 
मौसम मौसम दिल्ली सरकार 
और उसके लोगों को
कोसने वालों की भीड़ का झंडा उठाता है 

अपनी गली में
उसी सरकार के झंडे के परदे का
घूँघट बनाने से बाज नहीं आता है 

मेरे देश की हर गली कूँचे में 
एक ऎसा शख्स जरूर पाया जाता है 
जो अपना उल्लू
सीधा करने के लिये
लोकतंत्र की धोती को
सफेद से गेरुआँ रंगवाता है 
तिरंगे के रंगो की टोपियाँ बेचता हुआ 
कई बार पकड़ा जाता है

ऎसा ही शख्स
कामयाबी की बुलंदी छूने की मुहिम में
इस समाज के बहुमत से
दोनो हाथों में उठाया जाता है

और एक तू बेशरम है
सब कुछ देखते सुनते हुऎ 
अभी तक दलाली के पाठ को नहीं सीख पाता है
तेरे सामने सामने कोई तेरा घर नीलाम कर ले जाता है

'उलूक'
जब तू अपना घर ही नहीं बेच पाता है 
तो कैसे तू
पूरे देश को नीलाम करने की तमन्ना के
सपने पाल कर 
अपने को भरमाता है । 

चित्र साभार: https://www.pravakta.com/what-the-poor-in-democracy/

सोमवार, 25 जून 2012

कार ला दो एक उधार ला दो


सुनो जी 

सुनो जी 

एक कार 

अब तो
ले ही 
आते हैं

पैसा 
अपना 
किसी बैंक में 

पहले
फिक्स 
करवाते है 

उसके बाद 

किसी से 
कुछ उधार 
लेने की 

योजना 
एक 
बनाते हैं

बैंक से 
उधार 
लेने पर तो 

ब्याज 
सिर चढ़ता 
चला जायेगा

किसी 
पड़ोसी 
या दोस्त
को फसाने से 

काम 
बहुत आसान 
हो जायेगा

कुछ लम्बा 
समय भी 
मिल जायेगा 

और 
खाली मूलधन 
लौटाने से भी 

काम
हमारा चल 
ही जायेगा

आज से ही 
रेकी करना
आप शुरू 
कर डालिये

पहले 

पैसे वाले 
जो पैदल 
चला करते हैं

उन पर 
नजर डालिये

ऎसे लोग 
बड़ी किफायत
के साथ 
चला करते हैं

पैसा बर्बाद 
बिल्कुल नहीं
कभी करते हैं 

बस 
जरूरत 
की चीजें 
ही खरीदा 
करते हैं

छोटे 
समय में 
इन लोगों 
के पास 

अच्छी
पूंजी जमा 
हो जाती है

जो किसी 
के भी कहीं
काम में नहीं 
आ पाती है

इन 
लोगों को 
अपने 
पैसे को 

कहीं 
लगाना 
आप 
सिखलाइये

जमाना 
कहाँ से कहाँ
पहुँच गया है 

इनको 
आईना 
दिखलाइये

जीने चढ़ 
उतर कर

ये 
इधर 
उधर 
पैदल 
जाते रहें 
कहीं भी

हमें 
मतलब नहीं

बस 
हमारे ऊपर 
थोड़ा सा 
तरस 
ये खा सकें 

इसके लिये
इनके सामने 
गिड़गिड़ाने में 

आप 
बिल्कुल 
भी ना 
शर्माइये

सफाई 
कर्मचारी तक
आजकल 

झाडू़
लेकर
कार पर 
आने लगे हैं

हमें भी 
एक कार 
दिलवाकर 

इज्जत 
हमारी 

नीलाम 

सरेआम 
होने से 
बचाइये।