उलूक टाइम्स: नोचना
नोचना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नोचना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 29 सितंबर 2019

सोच कुछ भी हो आईने सी साफ हो लिखे लिखाये में सूरत दिखनी भी नहीं है



साफ
कहना है

कहने से
कोई परहेज
होना भी नहीं है

बात
अपनी
खुद की

जरा
सा भी
कहीं
करनी भी
नहीं है

थोड़े से
मतभेद
से केवल

अब
कहीं कुछ
होता भी नहीं है

पूरा 
कर लें 
मनभेद 
इस से
अच्छा माहौल

आगे
होना भी नहीं है

झूठ सारे
लिपटे हुऐ हैं
परतों में

पर्दे में
नहाने की

जरूरत
भी नहीं है

बन्द
रखनी हैं
बस आँखें

हमाम
की दीवारें
खिड़कियाँ
दरवाजे

अभी
तैयार
भी नहीं हैं

भेड़िये
सियार कुत्ते
सारे साथ हैं

क्या हुआ
रिश्तेदार
भी नहीं हैं

सोचना
भी नहीं है

नोचना
ही तो है
सबने

कुछ ना कुछ

क्या हुआ
अगर जिन्दा हैं

लाशें अभी
बनी भी नहीं हैं

लिखने में
कुछ नहीं
जाता है

सब कुछ
लिखने के
बीच का

कुछ
लिखना
भी नहीं है

सोच
कुछ
भी हो
‘उलूक’

आईने सी
साफ हो

लिखे
लिखाये में
सूरत दिखनी
भी नहीं है ।

 चित्र साभार: http://clipart-library.com

सोमवार, 15 जुलाई 2013

अब तुम भी पूछोगी क्या?

क्यों पूछती हो
एक ही बात बार बार

ये किस पर 
लिखा है
क्या कुछ लिखा है

मैने कभी 
क्या तुमसे कहा है
मैं लिख रहा हूँ 
तुमको पढ़ भी लेना है समझना है

इतने लोग हैं 
यहाँ
कुछ ना 
कुछ लिखते हुऎ
शायद 
तुमको भी 
मेरी तरह ही नजर आ रहे हैं

किसी को 
कुछ लगता है अच्छा
किसी को लगता है कुछ बुरा

सब ही तो 
अपनी अपनी बात यहाँ समझा रहे हैं

अब जैसे 
कभी
चोर 
पर लिखा दिखता है कहीं अगर
तो कौन सा सिपाही लोग
उसको पकड़ने को जा रहे हैं

बस
लिख 
ले जा रहे हैं हम भी
कुछ कहीं 
करने को नहीं जा रहे हैं

करने वाले 
सब लगे हुऎ हैं करने में
वो कौन सा तुम्हारी तरह
पढ़ने 
को यहाँ आ रहे हैं

या तो
सीख 
लो उन से कुछ करना
नहीं तो 
बस पढ़ लिया करना

अगली बार 
से हम भी 
तुमको बताने ये नहीं जा रहे हैं

हम से 
होता तो है कुछ भी नहीं
सरे आम देख कर आते हैं वहाँ कुछ

अपनी
अंधेरी 
गली में
खम्बा नोचना तक अपना
किसी को भी नहीं दिखा पा रहे हैं ।

चित्र साभार: http://clipart-library.com/