उलूक टाइम्स: पूर्व संध्या
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शनिवार, 17 नवंबर 2018

निकाय चुनाव चन्डूखाना और गणित शहर की चैन की साँसों के अंतिम पड़ाव की शाम आँसू बहा रही है

कुछ
के लिये
नशा है

कुछ
के लिये
मगजमारी है

निकाय चुनाव
की पूर्व संध्या पर

हार जीत के
गणित के सवाल

हल करना
अभी अभी तक
सुना गया है

जारी है

भाई
किस को
दे रहें हैं
मत अपना

बहनें
किस धारा में
बहने जा रही हैं

पता
करने वाले
जुगाड़ी 
लगे हुऐ है
जुगाड़
लेकर अपने


किसी के
सवाल
सरल से हैं
किसी के
बहुत भारी हैं

कोई
बुजुर्गों को
बहला रहा है

उम्र के लिहाज

के पलड़े को
शरम आ रही है

कोई
जवानों के
सपनों को
ठोक रहा है

सपने

दिखा दिखा कर

दिन भी
उनके लिये
रात हो जा रही है

निचोड़
सब का
निकाल कर
देखने पर

एक
ही बात
समझ में
आ रही है

एक
दल छोड़ने
को तैयार नहीं है

देख रहा है
गधे की लगी
सामने से
ही सवारी है


एक

गधे पर ही
बाजी लगाने
का मन
बना चुका है

दल की

ऐसी तेसी
करने की
उसकी
तैयारी है


गधे
खुश हैं बहुत

इधर से नहीं

तो उधर से

उन्हीं के किसी
रिश्तेदार को
सेहरा बंधने
की तैयारी है

‘उलूक’ ने
हर हाल में
नोचने हैं खम्बे

खबर है
चन्डूखाने की

कि
शहर
की उसके

किस्मत
फूटने की घड़ी

जल्दी ही
भिजवाने की

सरकार
कहीं दूर
बियाँबान में

मुनाँदी
करवा रही है ।

चित्र साभार:
https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/kanpur/niveditas-chair-in-danger

सोमवार, 30 जनवरी 2012

चुनाव पूर्व संध्या

एक बार फिर

कल
चांद सितारों
की तमन्ना बोने

देखें
कितने लोग
अपने कोटरों से
निकल कर आते हैं

अपने अपने
घोड़ो पर
दांव लगाने
कहाँ कहाँ से
कूद फांद
लगाते हैं

लम्बी
दौड़ का
एक घोड़ा
कोई चलेगा
खच्चर से
भी बनाने

कोई
तगड़े घोड़े
को पीछे भी
खिसकायेगा

अपने अपने
घोड़ों की
इस रेस में

इस
बार दुवा
करियेगा

असली
दौड़ का घोड़ा
घोड़ों से ही
ना उलझ पायेगा

मेरे देश
को चाहिये
जो दिशा

उसे
देने के लिये
वो ही
सबसे आघे
निकल जायेगा

बरसों से
बोती
आ रही है

जो
चांद और सितारे
इस धरती की
अबोध संताने

घोड़ा
अपने लिये ही

केवल
नहीं जुटायेगा

चांद सितारे
तोड़ कर
ना भी ला पाये

कोई बात नहीं
उनकी रोशनी
ही काफी होगी

उससे एक
मुस्कान हर
चेहरे पर देने

पाँच 

सालों मे
कम से कम
कुछ बार
जरूर
आ जायेगा।