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रविवार, 26 अक्तूबर 2014

कहीं कोई किसी को नहीं रोकता है चाँद भी क्या पता कुछ ऐसा ही सोचता है

भाई अब चाँद
तेरे कहने से
अपना रास्ता
तो बदलेगा नहीं
वहीं से निकलेगा
जहाँ से निकलता है
वहीं जा कर डूबेगा
जहाँ रोज जा
कर डूबता है
और वैसे भी
तू इस तरह से
सोचता भी क्यों है
जैसा कहीं भी
नहीं होता है
रोज देखता है
आसमान के
तारों को
उसी तरह
टिमटिमातें हैं
फिर भी तुझे
चैन नहीं
दूसरी रात
फिर आ जाता है
छत पर ये सोच कर
कि तारे आज
आसमान के
किनारे पर कहीं होंगे
कहीं किनारे किनारे
और पूरा आसमान
खाली हो गया होगा
साफ साफ दिख
रहा होगा जैसे
तैयार किया गया हो
एक मैदान कबड्डी
के खेल के लिये
फिर भी सोचना
अपने हिसाब से
बुरा नहीं होता है
ऐसा कुछ
होने की सोच लेना
जिसका होना
बहुत मुश्किल भी
अगर होता है
सोचा कर
क्या पता किसी दिन
हो जाये ऐसा ही कुछ
चाँद आसमान का
उतर आये जमीन पर
तारों के साथ
और मिलाये कहीं
भीड़ के बीच से
तुझे ढूँढ कर
तुझसे हाथ
और मजाक मजाक
में कह ले जाये
चल आज से तू
चाँद बन जा
जा आसमान में
तारों के साथ
कहीं दूर जा
कर निकल जा
आज से उजाला
जमीन का जमीन
के लिये काम आयेगा
आसमान का मूड
भी कुछ बदला
हुआ देख कर
हलका हो जायेगा ।

चित्र साभार: www.dreamstime.com

शनिवार, 31 मार्च 2012

अर्थ आवर

मार्च महीने के अंतिम
सप्ताह का शनिवार
मानव को जाग्रत
करने का एक विचार
ऋतु परिवर्तन के बारे
में जागरूकता बढ़ाने
लोगों का ध्यान उनके
कर्मों की ओर दिलाने
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर का
होता है कुछ खास प्रयोजन
करता है इस उपलक्ष्य में वो
हर वर्ष एक घटना का आयोजन
2007 में पहली बार
जागरूकों ने मनाया
सिडनी शहर के लोगों ने
एक अभियान चलाया
इस बार छटी बार
फिर से नंबर है आया
शाम आज 8:30 पर
हम को भी अलख जगाना है
जरूरी गैर जरूरी घर
और व्यव्साय की बत्तियों को
बस एक घंटे के लिये बुझाना है
इससे जल और उर्जा
हम बचा पायेंगे
साठ मिनट के अंधेरे से
भविष्य को रोशन कर पायेंगे
जलवायू परिवर्तन से हो रहे
पृथ्वी पर घावों को सहलायेंगे
अर्थ आवर के बारे में
सबको आज जरूर बतायेंगे
पूरे परिवार के साथ
अंधेरे का मजा उठायेंगे ।