उलूक टाइम्स: फूँक
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बुधवार, 8 मार्च 2017

गीता में कही गयी हैं बातें वही तो हो रही हैं नजर आ रहा है मत कहना ‘उलूक’ पगला रहा है


सीधी बोतल
उल्टी कर
खाली करना
फिर खाली
बोतल में
फूँक मार कर
कुछ भरना


रोज की
आदत हो
गयी है
देखो तो
खाली बोतलें
ही बोतलें
चारों ओर
हो गयी हैं

कुछ बोतलें
सीधी पड़ी
हुई हैं
कुछ उल्टी
सीधी हो
गयी हैं

बहुत कुछ
उल्टा सीधा
हुआ जा
रहा है
बहुत कुछ
सीधा उल्टा
किया जा
रहा है

पूछना
मना है
इस लिये
पूछा ही नहीं
जा रहा है

जो कुछ भी
हो रहा है
स्वत: हो
रहा है
होता चला
जा रहा है

जरूरत ही
नहीं है
किसी को
कुछ
पूछने की

कोई पूछने भी
नहीं आ रहा है

वो उसके लिये
लगा है उधर
गाने बजाने में

इसको इसके
लिये इधर
खुजलाने में
मजा आ रहा है

गधों की दौड़
हो गयी है
सुनाई दे रही है

खबर बहुत
दिनों से
हवा हवा
में है
और
होली भी
आ रही है

गधों में सबसे
अच्छा गधा भी
जल्दी ही
गधों के लिये
भेजा जा रहा है

‘उलूक’
तूने पेड़
पर ही
रहना है
रात गये ही
सुबह की
बात को
कहना है

तुझे
किस बात
का मजा
आ रहा है

खेलता रह
खाली
बोतलों से

गधे
का आना
फिर गधे
का जाना

कृष्ण जी
तक बता
गये हैं
गीता में

गधों के
बीच में
चल रही
उनकी
अपनी
बातें हैं

बोतलों में
फूँकने वाला
क्या फूँक
रहा है
जल्दी ही
होली
से पहले
सबके
सामने से
आ रहा है

किसलिये
छटपटा
रहा है ?

चित्र साभार: Dreamstime.com