उलूक टाइम्स: बकरे
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शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

अच्छे लोग और उनके उनके लिये मिमियाते बकरे


बकरे कटने के लिये ही होते हों 
या 
बकरे हर समय हर जगह कटें ही 

जरूरी नहीं है 

हर कोई 
बकरे नहीं  काटता है 
कुछ लोग जानते हैं 
बहुत ही अच्छी तरह 

कुछ बकरे 
शहर में मिमियाने के लिये 
छोड़ने भी जरूरी होते हैं 
जरूरी नहीं होता है उन्हें 
कुछ खिलाना या पिलाना 

कुछ बकरे 
खुद अपनी हरी पत्तियाँ खाये हुए 
पेट भरे होते हैं 

बकरे
शहर 
में छोड़ना 
इस लिये भी जरूरी होता है 
ताकि सनद रहे 

और 
बकरे भी हमेशा 
खुद के लिये ही नहीं मिमियाते हैं 

बकरे
वो सब 
बताते हैं जो उन्हें खुद 
मालूम नहीं होता है 

बकरों को 
गलत फहमी होती है
अपने 
खुलेआम आजादी से घूमने की 
वजह की जानकारी होने की 

अच्छे लोग 
बकरों को कभी काटा नहीं करते हैं 

बकरे
हमेशा 
बताते हैं 
अच्छे लोगों की अच्छाइयाँ 
शहर की गलियों में मिमिया मिमिया कर 

देश को भी 
बहुत ज्यादा जरूरत होती है 
ऐसे अच्छे लोगों की 
जिनके पास 
बहुत सारे बकरे होते हैं 
सारे शहर में मिमिया लेने वाले 
बिना हरी घास की चिंता किये हुऐ 

‘उलूक’ 
कब से पेड़ पर बैठा बैठा 
गिनती भूलने लगा है 
अच्छे लोगों और उनके 
उनके लिये मिमियाते 
बकरों को गिनते गिनते । 

चित्र साभार: www.speakaboos.com

मंगलवार, 8 सितंबर 2015

समाचार बड़े का कहीं बड़ा कहीं थोड़ा छोटा सा होता है

बकरे और मुर्गे
चैंन की साँस
खींच कर
ले रहे हैं
सारे नहीं देश
में बस एक दो
जगह पर कहीं
वहीं मारिया जी की
पदोन्नति हो गई है
शीना बोरा को
आरूषि नहीं बनने दूँगा
उनसे कहा गया
उनके लिये लगता है 
फलीभूत हो गया है
मृतक की आत्मा ने
खुश हो कर
सरकार से उनको
अपने केस को छोड़
आगे बढ़ाने के लिये
कुछ कुछ बहुत
अच्छा कह दिया है
हेम मिश्रा बेल पर
बाहर आ गया है
सरकार का कोई
आदमी आकर इस
बात को यहाँ
नहीं बता गया है
खुद ही बाहर आया है
खुद ही आकर उसने
खुद ही फैला दिया है
बड़े फ्रेम की बडी खबरें
और उसके
फ्रेम की
दरारों से 
निकलती
छोटी खुरचने
रोज ही होती हैं
ऐसे में ही होता है और
बहुत अच्छा होता है
अपने छोटे फ्रेम के
बड़े लोगों की छोटी
छोटी जेबकतरई
उठाइगीरी के बीच
से उठा कर कुछ
छोटा छोटा चुरा
कर कुछ यहाँ
ले आना होता है
फिर उसे जी भर
कर अपने ही कैनवास
में बेफिक्र सजाना होता है
बड़े हम्माम से अच्छा
छोटे तंग गोसलखाने का
अपना मजा अपना
ही आनन्द होता है

उलूक करता रहता है
हमेशा कुछ ना कुछ
नौटंकी कुछ कलाकारी
कुछ बाजीगरी
उसकी रात की दुनियाँ
में इन्ही सब फुलझड़ियों
का उजाला होता है  ।

चित्र साभार:
earthend-newbeginning.com

बुधवार, 30 मई 2012

झंडा है जरूरी

ये मत समझ लेना
कि वो बुरा होता है

पर तरक्की पसन्द
जो आदमी होता है

किसी ना किसी
दल से जरूर
जुड़ा होता है

दल से जो 
जुड़ा
हुवा नहीं होता है

उसका दल तो
खुद खुदा होता है

स्टेटस उसका बहुत
उँचा उठा होता है

जिसके चेहरे पर
झंडा लगा होता है

सत्ता होने ना होने
से कुछ नहीं होता है

इनकी रहे तो
ये उनको
नहीं छूता है

उनकी रही तो
इनको भी कोई
कुछ नहीं कहता है

इस बार इनका
काम आसान होता है
उनका ये समय तो
आराम का होता है

अगली बार उनका
हर जगह नाम होता है
इनका कुन्बा दिन
हो या रात सोता रहता है

बिना झंडे वाले
बकरे का
बार बार काम
तमाम होता है

जिसे देखने
के लिये भी
वहाँ ना ये होता है
ना ही वो होता है

भीड़ काबू करने का
दोनो को जैसे कोई
वरदान होता है

भीड़ के एक छोटे
हिस्से पर इनका
दबदबा होता है
बचे हिस्से को
जो काबू में
कर ही लेता है

अपने कामों को
करने के लिये
झंडा मिलन भी
हो रहा होता है

मीटिंग होती है
मंच बनता है
उस समय इनका
झंडा घर में सो
रहा होता है

पर तरक्की पसंद
जो आदमी होता है
किसी ना किसी
झंडे से जुड़ा होता है

जिसका
कोई झंडा
नहीं होता है
वो कभी भी
ना ये होता है
ना वो होता है।