उलूक टाइम्स: बहाना
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शनिवार, 5 मई 2012

चोर ना ना कामचोर

बहाने के ऊपर
जब बहाने
को चढ़ाते हैं
बहाने का समुंदर
कब वो लबालब
भर ले जाते हैं
पता कुछ कहाँ
कोई कर पाते हैं
अंदाज उस समय
ही आ पाता है
जब बहानेबाज
के जाने के बाद
हर कोई अपने को
बहाने में बहा
हुआ पाता है
ठगा सा
रह जाता है
बहाने बनाते बनाते
कुछ बहानेबाज
इतना भावुक
हो जाते हैं कि
सामने वाले
की आँखों
में आंसूँ भर
ही आते हैं
बहाने कितनी
आसानी से
किस समय
सच्चाई में
ढाल ले जाते हैंं
कितने
कलाकार हैं
उस समय
बताते है
हम देखते
रह जाते हैं
भावावेग प्रबल
हो जाता है
हर बहाना
सामने वाले
की समझ
में आता है
वो बेवकूफ
की तरह
ये दिखाता है
बहाना बनाया
तो जा रहा है
पर उसकी
समझ में
बिलकुल भी
नहीं आ रहा है
इसी तरह बहाना
बनाया जाता है
फिर भी
अन्जाने में वो
बहाना कब
सामने वाले को
बहा ले जाता है
अन्दाज ही नहीं
कोई लगा पाता है
मालूम रहता है 
वो जब भी आता है
बहाना बनाता है
बहुत अच्छा बनाता है।

रविवार, 27 सितंबर 2009

आशिक

वो अब हर बात में पैमाना ढूंढते हैं
मंदिर भी जाते हैं तो मयखाना ढूंढते हैं ।

मुहल्ले के लोगों को अब नहीं होती हैरानी
जब शाम होते ही सड़क पर आशियाना ढूंढते हैं ।

पहले तो उनकी हर बात पे दाद देते थे वो
अब बात बात में नुक्ताचीनी का बहाना ढूंढते हैं ।

जब से खबर हुवी है उनकी बेवफाई की
पोस्टमैन को चाय पिलाने का बहाना ढूंढते हैं ।

तारे तक तोड़ के लाने की दीवानगी थी जिनमें
बदनामी के लिये अब उनकी एक कारनामा ढूंढते हैं ।

उनकी शराफत के चरचे आम थे हर एक गली में
अब गली गली मुंह छुपाने का ठिकाना ढूंढते हैं ।