उलूक टाइम्स: बीमारियाँ
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शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

समझने के लिये जरूरी नहीं होती है सारी उल्टियाँ

कब तक
और क्यों
रोज की रोज
लिखी जायें
उबकाइयाँ

इलाज करने
वाले बहुत
होते हैं
इस गली
से लेकर
उस गली तक

फर्क नहीं
पड़ता है

ना ही
समझ में
आती हैं
सभी को
सारी बीमारियाँ

लक्षणों से
बहुत कुछ
पता चलता है

पता होता है
फिर भी
जरूरी नहीं
होता है

हर किसी की
बीमारी
अखबार में आये

बिकने वाली
हर खबर को
देने वाले को
भी देखना
पड़ता है
खबर को
देने के बाद
की क्या
होती हैं
दुश्वारियाँ

तेरा
समझना तेरा
उसका
समझना उसका

समझने
समझाने में
बिकने
बिकाने में
सबसे
आसान होता है
लिखा प्यार पर
इश्क पर और
सबसे ज्यादा
बिकती
हैं रुसवाइयाँ

कभी
किसी पल
के लिये लिख
लिखाना
गाना दर्दे शहर
किसी को मतलब
नहीं है किस
गली में कपड़े
उधाड़ रही हैं
किसी की
तन्हाइयाँ

कई
जोड़े आँखे
टिकी रहती हैं
माँस के एक
लोथड़े पर

कभी भी मत
कह बैठना
गलती से भी
उस मरे टुकड़े
के किसी नस
फड़कने
की बात

लोग बैठे
हुए होते हैं
खबर बनाने
के लिये
अपने हिसाब से

पता होता है
उनको भी
और जिंदा
लाशों को भी

मुर्दों
की गिनतियाँ
करने से ज्यादा
ही मिलती हैं
शाबाशियाँ

अपने
लिखने
के हिसाब से
उसके
लिखने
को तोलना
ठीक नहीं
होता है ‘उलूक’

देखना आँख
बंद कर के
लिखना झूठ
साफ करके

सब देखते हैं
सब कुछ
सब नहीं कहते
सब कुछ
देखा हुआ

सब को
नहीं आती
उल्टी
तू निगल
जितना हो
सके उगलने
के बाद का

मत सोचना
उगला भी
और कुछ
भी नहीं हुआ

जरूरी नहीं
होता है होना
हर किसी के
पास रीड़ का

अच्छा होता है
सरकना साँप
की तरह
फूँकते हुए हवा
में अपनी
अच्छाइयाँ ।

चित्र साभार: www.123rf.com

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

जो होना होता है वही हो रहा होता है

कोई भी तो
कुछ नहीं कह
रहा होता है
फिर भी किसी
को कैसे ये लग
रहा होता है
हर समय
कहीं ना कहीं
कुछ ना कुछ
हो रहा होता है
खाना पकता है
खुश्बू आती है
पता चलता है
प्रेशर कूकर हुआ
तो सीटी दे देता है
तेरा कुछ नहीं
हो सकता है
बिना बात के
एक बात की
सौ बात
कर देता है
कई तरह की
बीमारियाँ होती हैं
कई तरह के
बीमार होते हैं
कोशिश की जाती है
इलाज भी होता है
सारे मरीज
मर ही जो
क्या जाते हैं
कुछ की बीमारियों
को डाक्टर ठीक
भी कर देता है
तेरा कुछ नहीं
हो सकता है
तू दवाई की
पर्चियों के ऊपर
भी कुछ ना कुछ
लिख देता है
कहीं भी कुछ
भी नहीं हो
रहा होता है
कोई भी संकेत
नहीं होता है
कुछ तेरे जैसे
लोगों को बस
एक वहम हो
रहा होता है
कोई किसी बात
पर कुछ नहीं
कह रहा होता है
सब कुछ अपनी
जगह पर जैसा था
वैसा ही हो
रहा होता है
बस तुझे ही
कुछ कुछ हमेशा
की तरह का
हो रहा होता है
तेरा सच में
कुछ भी नहीं
हो सकता है
सब के मौज
हो रहे होते हैं
हर कोई खुश
हो रहा होता है
बस एक तू
अपनी आदत
के कारण
कुछ होने या
ना होने पर
रो रहा होता है
तेरा कुछ नहीं
हो सकता है
कुछ होने वाला
होता भी है
तब भी तेरा
जैसा ही बस
कोई यही कह
रहा होता है
हो रहा है जो
कुछ कहीं भी
हो रहा होता है
आँखिर क्यों हो
रहा होता है ।