उलूक टाइम्स: बड़े
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सोमवार, 22 जून 2015

वाशिंगटन से चली है खबर ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ ने की है कवर

झूठ
बोलने वाले
होते हैं
दिमाग के तेज

‘दैनिक हिन्दुस्तान’
का सबसे
पीछे का है पेज

बच्चों पर
शोघ कर
खबर
बनाई गई है

दूर की
एक कौड़ी
जैसे मुट्ठी
खोल के
बहुत पास से
दिखाई गई है

शोध
करने वाले
बेवकूफ
नजर आते हैं

बच्चे
भी कभी
कोई बात
सच बताते हैं

यही शोध
कुछ बड़ों
पर भी
होना चाहिये

बिना पढ़े
और
पढ़े लिखों
पर होना चाहिये

सारा सच
खुल कर
सामने
आ जायेगा

पढ़ा लिखा
पक्का
बाजी मार
ले जायेगा

वाशिंगटन
महंगी जगह है

डालर
बेकार में रुलायेगा

दिल्ली में
रुपिया सस्ता है

सस्ते में
काम हो जायेगा

शोघ
करने की
जरूरत
नहीं पड़ेगी

निष्कर्ष
पहले
मिल जायेगा

सबको पता है
सब जानते है

झूठ
जहाँ सच
कहलाता है
सच को झूठा
कहा जायेगा

झूठ
बड़े अक्षर में
पहले पन्ने में

सच
छोटे शब्दों में
पीछे के पन्ने में

मुँह अपना
छुपायेगा

संविधान है
और
विधान है

मुहर लगा
सच की माथे पर

अपने जैसों
के कांधे पर
सच की
अर्थी उठायेगा

कंधा देने
उमड़ पड़ेगा
एक एक सच्चा
बच्चा बच्चा

सच्चे
दिमाग का
कच्चे झूठ का

परचम
चारों दिशा
में फहरायेगा

जय
जय होगी
बस
जय होगी

‘उलूक’
बिना दिमाग

झूठ देख कर

सच है
सच है
यही सच है
यही सच है

गली
में जाकर
अपने घर की

जोर
जोर से
चिल्लायेगा

सच बोलने
वालों के
दिमाग में
नहीं होते
हैं पेंच

अपने आप
बिना शोध
सिद्ध
हो जायेगा ।

चित्र साभार: wallpaper.mohoboroto.com

रविवार, 25 अगस्त 2013

सीधा साधा एक लड़का था कभी मेरे स्कूल में भी पढ़ता था

पक्ष की कर 
नहीं तो विपक्ष
की ही कर
सरकार की कर
नहीं तो उसके
ही किसी एक
अखबार की कर
बात करनी है
तुझे अगर कुछ
तो इनमें से किसी
एक के ही
कारोबार की कर
किसने कहा था
गाँव के स्कूल को
छोड़ के बड़े
शहर के बड़े
स्कूल में चला जा
चला भी गया था
तो किसने कहा था
गाँव की ढपली वहाँ
जा कर बजा जा
अब भुगत
घर की पुलिस नहीं
बड़े शहर की
पुलिस ने भी नहीं
देश की पुलिस ने
पकड़ कर अंदर
तुझे करा दिया
सारे के सारे
अखबारों में फोटो
छाप के तुझे एक
माओवादी बता दिया
समझा ही नहीं
इतने साल मेरे
स्कूल में रहकर भी
अरे कांग्रेसी
ही हो जाता
नहीं हो पा
रहा था तो
भाजपा में
ही चला जाता
अब ना
इधर का रहा
ना उधर का रहा
बिना बात के
अंदर को जा रहा 
इधर होता
या उधर होता
कभी तो
तेरे पास भी
कोई पोर्टफोलियो
एक जरूर होता
अभी भी समय है
सुधर जा
अधिसंख्यक
चल रहे हैं
जिन रास्तों पर
उन रास्तों में
चलना शुरु हो जा
जो नियम ज्यादा
लोगों की जेब में
देखे जाते हैं
वो ही भगवान जी
तक के द्वारा भी
फौलो किये जाते हैं
इसकी भी हाँ
में हाँ मिला
उसकी भी हाँ
में हाँ मिला
अब जेल भी
चला गया
और बोलेगा
तमगा भी
कोई नहीं
मिलेगा
पक्ष या
विपक्ष के
लिये जेल 

जाता तो
राजनीतिक कैदी
एक हो जाता
क्या पता 

किसी दिन
कोई मंत्री संत्री
बनने का मौका भी
जेल के सार्टिफिकेट
से तू पा जाता
मेरे स्कूल में इतने
साल तू पढ़ा पर
हेम तूने गुरुओं से
इतना भी नहीं सीखा ।