उलूक टाइम्स: भाग्य
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मंगलवार, 21 जुलाई 2015

‘उलूक’ की फटी म्यान और जंग खायी हुई तलवार


चाँद तारे आसमान 
सूरज पेड़ पौंधे भगवान
जानवर पालतू और आवारा
सब के अपने अपने काम

बस आदमी एक बेचारा 
अपने काम तो अपने काम
ऊपर से देखने की आदत
दूसरे की बहती नाक और जुखाम

कुछ के भाव कम कुछ के भाव ज्यादा
कुछ अकेले अकेले कुछ बाँट लेंगे आधा आधा 
कुछ मौज में खुद ही बने हुऐ मर्जी से प्यादा

कुछ बिसात से बाहर भी बिना काम
किस का फायदा किसका नुकसान

अपनी अपनी किस्मत अपना अपना भाग्य
किताबें पढ़ पढ़ कर भी चढ़े माथे पर दुर्भाग्य

इसकी बात उसकी समझ उसकी बात उलट पलट

‘उलूक’की आँखें ‘उलूक’की समझ
‘उलूक’की खबर ‘उलूक’का अखबार
रहने दे छोड़ भी दे पढ़ना भी अब यार
कुछ बेतार कुछ बेकार ।

चित्र साभार: openclipart.org

बुधवार, 28 दिसंबर 2011

चुनाव

चूहा कूदा फिर कूदा
कूद गया फिसल पड़ा
एक कांच के गिलास
में जाकर डूब गया
छटपटाया फड़फड़ाया
तुरंत कूद के बाहर
निकल आया
सामने देखा तो
दिखाई दे गयी
अचानक उसे
एक बिल्ली
पर ये क्या
बिल्ली तो
नांक मुंह
सिकोड़ने
लगी
चूहे से मुंह
मोड़ने लगी
चूहा कुछ फूलने
सा लगा
थोड़ा थोडा़ सा
झूमने भी लगा
बिल्ली को देख कर
पूंछ उठाने लगा
फिर बिल्ली को
धमकाने लगा
बिल्ली बोली
बदबू आ रही है
जा पहले नहा के आ
वर्ना अपनी शकल
मुझे मत दिखा
चूहा मुस्कुराया
फिर फुसफुसाया
हो गया ना कनफ्यूजन
गिलास में क्या गिरा
बदबू तुम्हें है आने लगी
पर गिलास में शराब
नहीं है दीदी
वहां तो सरकार है
चुनाव नजदीक आ रहा है
टिकट बांटे जा रहे हैं
मैंने फिसल के
अपना भाग्य है चमकाया
जीतने वाली पार्टी
का टिकट उड़ाया
और कूद के बाहर
हूँ आया।