उलूक टाइम्स: मनमोहन
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गुरुवार, 18 जुलाई 2013

देश बड़ा है घर की बनाते हैं

देश की सरकार
तक फिर कभी
पहुँच ही लेगें
चल आज अपने
घर की सरकार
बना ले जाते हैं
अंदर की बात
अंदर ही रहने
देते हैं किसी को
भी क्यों बताते हैं
ना अन्ना की टोपी
की जरूरत होती है
ना ही मोदी का कोई
पोस्टर कहीं लगाते हैं
मनमोहन को चाहने
वाले को भी अपने
साथ में मिलाते हैं
चल घर में घर की ही
एक सरकार बनाते हैं
मिड डे मील से हो
रही मौतों से कुछ तो
सबक सीख ले जाते हैं
जहर को जहर ही
काटता है चल
मीठा जहर ही
कुछ कहीं फैलाते हैं
घर के अंदर लाल
हरे भगवे में तिरंगे
रंगो को मिलाते हैं
कुछ पाने के लिये
कुछ खोने का
एहसास घर के
सदस्यों को दिलाते हैं
चाचा को समझा
कुछ देते हैं और
भतीजे को इस
बार कुछ बनाते हैं
घर की ही तो है
अपनी ही है
सरकार हर बार
की तरह इस
बार भी बनाते हैं
किसी को भी इस
से फरक नहीं
पड़ने वाला है कहीं
कल को घर से
बाहर शहर की
गलियों में अगर
हम अपने अपने
झंडों को लेकर
अलग अलग
रास्तों से निकल
देश के लिये एक
सरकार बनाने
के लिये जाते हैं ।

शनिवार, 17 मार्च 2012

शतक और बजट

बजट पर
भारी पड़ गया
सौंवा शतक

न्यूज रीडर भी
आज गया
खबरों में भटक


सचिन
देश के लिये खेलता
तो
स्कोर तीन सौ से
ऊपर चला जाता


फिर बाँग्लादेश
उसको कैसे हरा पाता


ज्यादातर सचिन
जब शतक बनाता है

भारत उस मैंच में
हार ही जाता है


खबरों ने आज सचिन
का सौंवा शतक गाया


इसी लिये बजट के
बारे में कुछ नहीं सुनाया


बजट सुनकर भी क्या
करेगी भारत की जनता


हर बार की तरह
इस बार भी
चुनाव
के खर्चे की
भरपायी करेगा संता


बजट कब किस की
समझ में आता है


मेरी समझ में
आज तक
ये नहीं घुस पाता है

फिर भी ये बेवकूफ
हर आदमी को

टी वी से चिपका
हुवा क्यों पाता है


सिगरेट और बीड़ी
के दाम को

हर बार सरकार ने
ढ़ा हुवा दिखाया है

गरीब को लगा
इससे मुर्गा जरूर

उसके हाथ इस
बार जरूर आया है


रेल से जाने वालों
को दिनेश ने तो

कल ही छत
पर चढ़ा दिया है


जिसे लगे हाथ
ममता दीदी ने

धक्का मार कर
लु
ढ़का दिया है

मनमोहन की
मोहनी सूरत की
फोटो 
अब जरूर
खरीद कर लानी है


साल भर उसके
नीचे अगरबत्तियां

सस्ती वाली जरूर
ही जलानी हैं।