उलूक टाइम्स: मरे
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मंगलवार, 14 नवंबर 2017

चौदह नवम्बर को क्या होता है आखिर क्यों और किस से क्या छुपा रहा है ?

सुबह से कुछ
याद जैसा
आ रहा है

नवम्बर
का महीना
चौदहवाँ दिन
धीरे धीरे
रोज की तरह
खिसकता
जा रहा है
याद करते
करते भी
जैसे कुछ भूला
जा रहा है

गूगल
का डूडल
एक सौ
इकतीसवीं
साल गिरह
कागज में छेद
करने वाले
उपकरण की
मना रहा है

सब कुछ
छूटता
चला गया
हो जैसे
बचपन अब
बच्चों में भी
जब नजर
नहीं आ
रहा है

अखबार
समाचार
टी वी
पत्रकार
कहीं भी
कोई जल्सा
मनाने की
खबर का
पुतला
जलाता हुआ
नजर नहीं
आ रहा है

‘उलूक’
की समझ में
बड़ी देर से
घुस रही है हवा
धुऐं कोहरे धूल
से तैयार की गयी

अँधेरा दिन में
करने का पूरा तंत्र
मंत्र जाप कर
साँस लेने का
सरकारी आदेश
ध्वनिमत से पास
करवाने का प्रपंच
करवा रहा है

इतना लम्बा
खींच कर
समझाने की
जरूरत वैसे
नहीं होनी चाहिये

सीधे साधे
शब्दों में
जिन्दा ताऊ को
मरे चाचा के
चौदह नवम्बर
के बहाने ताबूत
से जिन्दा निकल
आने का डर
सता रहा है

ट्रम्प का पत्ता
ताश के पत्ते के
डब्बे से बाहर
झाँक कर
जीभ निकाल कर
अपनी ही नाक को
छूने का करतब
दिखा रहा है ।

चित्र साभार: RF clipart

बुधवार, 31 अगस्त 2016

मरे घर के मरे लोगों की खबर भी होती है मरी मरी पढ़कर मत बहकाकर

अखबार के
मुख्य पृष्ठ पर
दिख रही थी
घिरी हुई
राष्ट्रीय
खबरों से
सुन्दरी का
ताज पहने हुऐ
मेरे ही घर की
मेरी ही
एक खबर

हंस रही थी
बहुत ही
बेशरम होकर
जैसे मुझे
देख कर
पूरा जोर
लगा कर
खिलखिलाकर

कहीं पीछे के
पन्ने के कोने में
छुप रही थी
बलात्कार की
एक खबर
इसी खबर
को सामने
से देख कर
घबराकर
शरमाकर

घर के लोग सभी
घुसे हुऐ थे घर में
अपने अपने
कमरों के अन्दर
हमेशा की तरह
आदतन
इरादातन
कुंडी बाहर से
बंद करवाकर

चहल पहल
रोज की तरह
थी आँगन में
खिलखिलाते
हुऐ खिल रहे
थे घरेलू फूल
खेल रहे थे
खेलने वाले
कबड्डी
जैसे खेलते
आ रहे थे
कई जमाने से
चड्डी चड़ाये हुए
पायजामों के
ऊपर से
जोर लगाकर
हैयशा हैयशा
चिल्ला चिल्ला कर

खबर के
बलात्कार
की खबर
वो भी जिसे
अपने ही घर
के आदमियों
ने अपने
हिसाब से
किया गया
हो कवर
को भी कौन सा
लेना देना था
किसी से घर पर

‘उलूक’
खबर की भी
होती हैं लाशें
कुछ नहीं
बताती हैं
घर की घर में
ही छोड़ जाती हैं
मरी हुई खबर
को देखकर
इतना तो
समझ ही
लिया कर ।

चित्र साभार: worldartsme.com

रविवार, 18 मई 2014

लिख लिया कर लिखने के दिन जब आने जा रहे होते हैं

घर पर गिरने
गिरने को हो
रहे सूखे पेड़ों
को कटवा लेने
की अनुमति
लेने की अर्जी
पिछले दो साल से
सरकार के पास
जब कहीं सो
रही होती है
पता चलता है
सरकार उलझी होती है
कहीं जिंदा पेड़ों के
धंधेबाजों के साथ
इसी लिये मरे हुऐ
पेड़ों के लिये
बात करने में
देरी हो रही होती है
देवदार के जवान पेड़
खुले आम पर्दा
महीन कपड़े
का लगाकर
शहीद किये
जा रहे होते हैं
जरूरत ही नहीं
पड़ती है धूल की
आँखों में झोंकने
की किसी के
कटते पेड़ों के
बगल से
गुजरते गुजरते
आँखें जब कहीं
ऊपर आसमान
की ओर हो
रही होती हैं
बहुत लम्बे समय
से चल रहा होता
है कारोबार
पेड़ों की जगह
उगाये जा रहे होते हैं
कंक्रीट के खम्बे
एक की जगह चार चार
शहर के लोग ‘महान’ में
कट रहे जंगलों की
चिंता में डूबते
जा रहे होते हैं
अपने घर में हो रहे
नुकसान की बात कर
अपनी छोटी सोच का
परिचय शायद नहीं
देना चाह रहे होते हैं
उसी के किसी आदमी
के आदमी के आदमी
ही होते हैं जिसके लिये
लोग आँख बंद कर
ताली बजा रहे होते हैं
ऐसे ही समय में
‘उलूक’ कुछ
तेरे भी जैसे होते हैं
जो कहीं दूर किसी
दीवार पर कबूतर
बना रहे होते हैं ।