उलूक टाइम्स: मायूस
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गुरुवार, 26 जून 2014

एक बहुत बड़े परिवार में एक का मरना खबर नहीं होता है

किसलिये मायूस
और किसलिये
दुखी होता है
सब ही को बहुत
अच्छी तरह से
पता होता है
जिसका कोई
नहीं होता है
उसका खुदा
जरूर होता है
अपनी बात को
अपने ही खुदा
से क्यों नहीं
कभी कहता है
उसका खुदा तो
बस उसके लिये
ही होता है
खून का रंग भी
सब ही का
लाल जैसा
ही तो होता है
अच्छे का
खुदा अच्छा
और बुरे का
खुदा बुरा
नहीं होता है
आदमी का खून
आदमी ही
सुखाता है
इस तरह का
कुछ बहुत
ज्यादा दिन
भी नहीं चल
पाता है
क्यों मायूस
और दुखी
इस सब
से होता है
सब को बस
मालूम ही नहीं
बहुत अच्छी
तरह से
पता होता है
जिसका कोई
नहीं होता है
उसका खुदा
जरूर ही होता है
रोज मरता है
कोई कहीं ना कहीं
इस दुनियाँ में
घर में मर गया
कोई किसी के
से क्या होता है
किसी जमाने में
खबर आती थी
मर गया कोई
मरे मरे हों सब जहाँ
वहाँ खबर करने से
भी क्या होता है
उठी लहर के साथ
उठ बैठने वाला
फिर खड़ा होने को
लौट गया होता है
कत्ल होने से
रोज डरता है ‘उलूक’
मारने वाले का खुदा
उसके साथ होता है
जिसका कोई
नहीं होता है
उसका खुदा तो
जरूर होता है
मगर उसका
खुदा उसका
और इसका खुदा
बस इसका खुदा
ही होता है ।