उलूक टाइम्स: मालिक
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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

घर के कुत्ते ने शहर के कुत्ते के ऊपर भौंक कर आज अखबार के पन्ने पर जगह पाई है बधाई है ‘उलूक’ बधाई है


अखबार में
फोटो आई है
सारा घर मगन है

मालिक
कभी दिखाया नहीं जाता है
घर के कुत्ते ने बहुत धूम मचाई है

घर में
भौंकता नहीं है कभी
कटखन्ने होने की मिठाई है

किसी को
 कभी काटा नहीं
किसी को कभी भौंका नहीं
अपने को बचाने की कीमत मिली है
या
किसी ने कीमत चुकाई है

बजट
अभी अभी निकला है
जनता समझ नहीं पायी है

कुत्ते कुत्ते
पट्टे पट्टे
खबर किस ने पहुंचाई है
खबर
मगर लाजवाब आई है

मालिक की
खबर की जगह
एक कुत्ते की खबर
हमेशा पव्वे के सहारे
अद्धे ने पहुंचाई है

कुत्ता
घूमता रहता है शहर शहर
मालिक की आज बन आई है

कुत्ते ने
अखबार में जगह पा कर
मालिक को दी बधाई है

जय जय कार है अखबार की
गजब की खबर एक आज बना के दिखाई है

कुत्ते को पता नहीं है कुछ भी
उसने आज भी उसी तरह अपनी पूंछ हिलाई है
 
मालिक सोच में पड़ा है
उसकी खबर किसने क्यों और कैसे उड़वाई है

‘उलूक’
कुत्ते पाला कर
शहर में भी भेजा कर
अखबारों की जरूरत आज बदल कर
नई सोच उभर कर आई है

अच्छा करना
ठीक नहीं
कुत्ते ने कुत्ते के ऊपर भौंक कर
आज अखबार के पन्ने पर जगह पाई है ।

शनिवार, 23 नवंबर 2019

जब कुछ हो ही नहीं रहा है तो काहे कुछ लिखना कुछ नहीं लिखो खुश रहो



छोड़ो
रहने दो
कुछ नहीं
लिखो

कुछ नहीं
ही
सब कुछ है

कुछ कुछ 
लिखते लिखते

अब तो
समझ लो
कुछ नहीं
लिखोगे

पहरे
से
दूर रहोगे

लिखे
का
हिसाब भी
नहीं
देना पड़ेगा

कहीं
कोई
बही खाता
ही नहीं बनेगा

आई टी सेल
नजर
ही
नहीं रखेगा

सब कुछ
सामान्य
सा दिखेगा

कुछ नहीं
लिखना

एक
नेमत होती है

समझा करो

सबका
मालिक
एक है

सब जगह
अलग अलग है
माना
फिर भी
नेक है

मालिक
की जय
होनी ही चाहिये
करते चलो

कुछ नहीं
लिखना है
का
सिद्धांत
बना कर
लिखने के
क्षेत्र में
जहाँ तक
पहुँचने की चाहत है
आगे बढ़ो

किसने
रोका है
बेधड़क लिखो

बस
कुछ नहीं
लिखने पर
अड़े रहो खड़े रहो

आँखें
कान नाक
बंद रख सको
तो
सोने में सुहागा होगा

सब कुछ
बंद रखने वालो
के लिये
हर रास्ते पर
माला लिये खड़ा
मालिक का भेजा
कोई ना कोई
अभागा होगा
समझा करो

ध्यान मत दो
जो हो रहा है
किसी के
भले के लिये ही
हो रहा होगा

गीता
सिरहाने पर रख कर
सोया करो

हर ऐरे गैरे
की
रामायण पर
ध्यान मत दिया करो

कुछ नहीं
कहने पर
टिके रहो

कहे कहाये पर
सुने सुनाये पर

कान
मत दिया करो
कुछ नहीं करने वाले
हर जगह होते हैं
सारे ब्रह्माण्ड का भार
वो सब ही ढोते हैं 

कुछ नहीं करने वालों के
चरण स्पर्श करो

विनती करो

कहो

कुछ नहीं कहता हूँ
कुछ नहीं करता हूँ 
कुछ नहीं लिखता हूँ

कुछ नहीं कमेटी में 
कहीं तो कोई स्थान
अब तो दो

सारे शरीफ
कुछ
करने कहने लिखने
वाले  जानते हैं

उलूकबेशर्म है
कुछ नहीं कहता है
उसे जरा सा भी शर्म नहीं है

जरूरत
किस बात की
कहाँ पर है

भगवन
ध्यान मत दो
कुछ नहीं करो
कुछ नहीं लिखो

कुछ नहीं को
मिलता है सम्मान
कुछ तो महसूस करो

कुछ नहीं शहर के
सम्मानित
रोज सुबह के अखबार में
कुछ नहीं
समाचारों के साथ
देखा करो

कुछ नहीं को
आत्मसात करो

देश के साथ
कुछ नहीं गाते
आगे बढ़ो

कुछ नहीं
लिखो

कुछ नहीं पर
टिप्पणी करो

कुछ नहीं
की
गिनती करो

ठान लो
इसके लिखे को
कहीं नहीं
दिखना चाहिये
डटे रहो अड़े रहो

कुछ मत करो
लिखने वाले
को
अहसास कराओ

कुछ नहीं
हो
लिखते रहो

कुछ नहीं
लिखना
अच्छा है
कुछ लिखने से

कुछ 
नहीं
लिखो।

 
https://www.dreamstime.com/

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

पट्टे के रंग के जादू में किसलिये फंसना चाह रहा है बता कहीं दिखा कोई उल्लू जो रंगीन पट्टा पहन कर किसी गुलिस्ताँ को उजाड़ने जा रहा है

एक पट्टा
गले में
पहन लूँ

कई दिन से
विचार आ रहा है

रंग उसका
क्या होना चाहिये

 बस यही
समझ में
नहीं आ रहा है

जमाने में रहकर
जमाने से कितना
पिछड़ गया हूँ

हर पट्टा
पहना हुआ
जैसे मुझे ही
चिढ़ा रहा है

किसम
किसम के हैं
सारे इंद्रधनुषी हैं

सभी पहने हुऐ हैं
एक रंग के पट्टे हैं

आभासी जंजीर
भी नजर आ रही है

मालिक है
जो चाहे करे

भौंकना तो
कम से कम
सिखा रहा है

रंग
इन्द्रधनुष
का एक
पता नहीं
किसके लिये
और क्यों
बौरा रहा है

‘उलूक’
उल्लू है
बना रह

किसी शाख
पर बैठ कर
गुलिस्ताँ को
उजाड़ने
तो तू भी
जा रहा है

किसी
एक रंग के
पट्टे को
पहन कर कोई
उसी रंग में
रंगीन कुछ
भौंकना चाह रहा है

तेरा जी
किस लिये
मिचला रहा है
यही गले से
नीचे उतर
नहीं पा रहा है

एक पट्टा
किसी का भी
तू भी अपने लिये
क्यों नहीं
बना पा रहा है

यही
एक प्रश्न
बिना उत्तर का
यहाँ वहाँ
पगला रहा है ?

चित्र साभार: http://clipartmag.com

बुधवार, 25 मई 2016

नोच ले जितना भी है जो कुछ भी है तुझे नोचना तुझे पता है अपना ही है तुझे सब कुछ हमेशा नोचना

कहाँ तक
और
कब तक

नंगों के
बीच में
बच कर
रहेगा

आज नहीं
कल नहीं
तो कभी
किसी दिन

मौका
मिलते ही
कोई ना
कोई

धोती
उतारने
के लिये
खींच लेगा

कुछ अजीब
सा कोई
रहे बीच
में उनके

इतने दिनों
तक आखिर
कब तक
इतनी
शराफत से

बदतमीजी
कौन ऐसी
यूँ सहेगा

शतरंज
खेलने में
यहाँ हर
कोई है
माहिर

सोचने
वाले प्यादे
को कब
तक कौन
यूँ ही
झेलता
ही रहेगा

कुत्ता खुद
आये पट्टा
डाल कर
गले में
अपने

एक जंजीर
से जुड़ा
कर देने
मालिक के
हाथ में

ऐसा कुत्ता
ऐसा मालिक
आज गली
गली में
इफरात
से मिलेगा

फर्जीपने
की दवाई
बारकोड

ले कर
आ रहे
हैं फर्जी
जमाने के
उस्ताद लोग

फर्जी आदमी
की सोच में
बारकोड
लगा कर
दिखाने को
कौन क्या और
किससे कहेगा

‘उलूक’
आज फिर
नोच ले
जितना भी
नोचना है
अपनी
सोच को

उसे भी
पता है
तू जो भी
नोचेगा

अपना ही
अपने आप
खुद ही
नोचेगा ।


चित्र साभार: worldartsme.com

सोमवार, 21 सितंबर 2015

दुकान के अंदर एक और दुकान को खोला जाये


जब दुकान खोल ही ली जाये 
तो फिर क्यों देखा जाये इधर उधर 
बस बेचने की सोची जाये 

दुकान का बिक जाये तो बहुत ही अच्छा 
नहीं बिके अपना माल किसी और का बेचा जाये 

रोज उठाया जाये शटर एक समय 
और एक समय आकर गिराया भी जाये 

कहाँ लिखा है जरूरी है 
रोज का रोज कुछ ना कुछ बिक बिका ही जाये 

खरीददार 
अपनी जरूरत के हिसाब से 
अपनी बाजार की अपनी दुकान पर आये और जाये 

दुकानदार 
धार दे अपनी दुकानदारी की तलवार को 
अकेला ना काट सके अगर बीमार के ही अनार को 

अपने जैसे लम्बे समय के 
ठोके बजाये साथियों को साथ में लेकर 
किसी खेत में जा कर हल जोत ले जाये 

कौन देख रहा है क्या बिक रहा है 
किसे पड़ी है कहाँ का बिक रहा है 
खरीदने की आदत से आदतन कुछ भी कहीं भी खरीदा जाये 

माल अपनी दुकान का ना बिके 
थोड़ा सा दिमाग लगा कर पैकिंग का लिफाफा बदला जाये 

मालिक की दुकान के अंदर खोल कर एक अपनी दुकान 
दुकान के मालिक का माल मुफ्त में 
एक के साथ एक बेचा जाये 

मालिक से की जाये मुस्कुरा कर मुफ्त के बिके माल की बात 

साथ में बिके हुऐ दुकान के माल से 
अपनी और ठोके पीटे साथियों की पीछे की जेब को 
गुनगुने नोटों की गर्मी से थोड़ा थोड़ा रोज का रोज 
गुनगुना सेका जाये । 

चित्र साभार: www.fotosearch.com

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

जय हो आप की मालिक

ओये
क्या है?

कोई मजमा
है क्या ?

नहीं है
तो बता

है तो
वही बता

कुछ कह
तो सही

मत कह
क्या फर्क
पढ़ना है

ये सरकस
उसके लिये
नहीं है
जो बंदर है

उसके लिये है
जो सिकंदर है

आम और खास
यहाँ और वहाँ
रामपाल और
यादव सिंह
वहाँ भी और
यहाँ भी

सब जगह
एक सा

इनाम चाहिये ?

नहीं चाहिये
तो यहाँ क्यों है ?

हूँ
मेरी मरजी

मेरी मरजी

ब्लागर हूँ
मालिक

क्यों है ?

पता नहीं
मालिक

ऐलैक्सा रैंक
क्या है ?

पता कर लो
मालिक

कितने हिट
होते हैं पेज में ?

ये हिट
क्या होते हैं
मालिक?

कितने इनाम
मिले हैं ?

अभी तक तो
नहीं मिले
हैं मालिक

कितने लोग
पढ़ते हैं ?

दो मालिक

अबे मालिक
कौन है

आप हो मालिक

तू कौन है

आप बताओ
ना मालिक ।

चित्र साभार: www.dreamstime.com

बुधवार, 4 जून 2014

पूँछ नहीं हिला रहा है नाराज नजर आ रहा है

मेरे
पालतू कुत्ते ने

मुझ से
कुछ कहा तो नहीं

कहेगा भी कैसे

कुत्ते कहाँ
कुछ कहते हैं

मुझे लग रहा है

बस यूं ही

कि शायद वो
बहुत नाराज है

वैसे
उसने कहीं
कुछ लिखा
भी नहीं है
इस बारे में

लिखेगा भी कैसे

कुत्तों का
फेसबुक एकाउंट
या ब्लाग
नहीं होते हैं

कुत्ते भौंकते
जरूर हैं

उसके
भौँकने में
वैसे कोई फर्क
तो नहीं है

पर मुझे
लग रहा है

कुछ अलग
तरीके से
भौँक रहा है

ये सब
मैं सोच रहा हूँ

कुत्ता नहीं
सोच रहा है

कुत्ते
सोचते भी हैं
या नहीं

ये मुझे पक्का
कहाँ पता है

ऐसा शायद

इस कारण
हो रहा है

पड़ोसी ने
कुत्ते से शायद
कुछ कहा है

जिस पर मैंने
ध्यान नहीं
दिया है

बस मुझे ही
लग रहा है

मालिक अपने
वफादार के लिये
कुछ नहीं
कर पा रहा है

अपने
दुश्मनो से
अपने को
बचाने के लिये

कुत्ते को
सामने मगर
ले आ रहा है

इसीलिये
कुत्ते को
शायद गुस्सा
आ जा रहा है

पर वो
ये सब भी
कहाँ 
बता रहा है ।

गुरुवार, 22 मई 2014

पहचान के कटखन्ने कुत्तों से डर नहीं लगता है

पालतू
भेड़ों की
भीड़ को
अनुशाशित
करने के
लिये ही

पाले
जाते हैं
कुत्ते
भेड़ों को
घेर कर
बाड़े तक
पहुँचाने में
माहिर
हो जाने से
निश्चिंत
हो जाते हैं
भेड़ों के
मालिक

कुत्तों के
हाव भाव
और चाल
से ही रास्ता
बदलना
सीख लेती
हैं भेड़े

मालिक
बहुत सारी
भेड़ों को
इशारा करने
से अच्छा
समझते हैं
कुत्तों को
समझा लेना

भेड़ों
को भी
कुत्तों से
डर नहीं
लगता है

जानती हैं
डर के आगे ही
जीत होती है

भेड़ों को
घेर कर
बाड़े तक
पहुँचाने का
इनाम

कुछ
माँस के टुकड़े

कुत्ते
भेड़ों के
सामने से
ही नोचते हैं

भेड़े
ना तो खाती हैं
ना ही माँस
पसँद करती हैं

पर
उनको
कुत्तों को
माँस नोचता
देखने की
आदत
जरूर हो
जाती है

रोज
होने वाले
दर्द की
आदत
हो जाने
के बाद
दवा की
जरूरत
महसूस
नहीं होती है ।

शनिवार, 3 अगस्त 2013

न्यायालय सरकार को सबका मालिक बताई है

ऎ मालिक
तेरे बंदे हम
अगर आज
गा रही होती
नौकरी तेरी
इस तरह हाथ
से नहीं कहीं
जा रही होती
यही बात तो
आज उच्च
न्यायालय
ने समझाई है
वो कभी भी
मालिक और
नौकर के बीच
में नहीं आई है
मालिक बनने के
लिये किस्मत उसने
जब पाई है
जनता जनार्दन ने
ये टोपी उसको
पहनाई है
तेरे को ऎसा
क्या हुआ जो
तू ऎसे से लड़ने
पर उतारू
हो आई है
मेहनत की है
और की है तूने
बहुत पढा़ई है
मालिक को ये
बात कभी भी
नहीं पच पाई है
आज ये मालिक है
जिसने तेरी नौकरी
दाँव पर लगाई है
जो नहीं है मालिक
की जगह पर आज
उस की मूँछ भी
इस बात को लेकर
बहुत फड़फडा़ई है
तेरे साथ खड़ा
होगा आज क्योंकि
उसने भी खानी
कल मलाई है
तेरे जैसे ने ही
तो मालिकों के
लिये हमेशा से
समस्या बनाई है
इतिहास गवाह है
नौकरी छोड़ कर
मालिक बनने की
होड़ भी उसी
ने जगाई है
केजरीवाल ने
इसी लिये तुझे
आवाज एक लगाई है
वो लगा चुका है
मालिक बनने की
दौड़ में अपना हिस्सा
तेरे पास भी है
एक अच्छा मौका
क्यों नहीं तू भी
करती नौकरी
की भरपाई है
दुर्गा हो या शक्ति हो
मालिक के लिये
अगर नहीं
उसमें भक्ति हो
इज्जत भी कहाँ
नौकर की
बच पाई है
ये बात नौकर के
समझ में अभी तक
नहीं आई है
एक तरह से
देख ले उसने
मुलायम आदमी
की मुलायम
तबीयत पर
टिप्पणी करने से
जान बचाई है
इसी बात पर
न्यायालय ने मुहर
एक लगाई है
वो कभी भी
मालिक
और नौकर
के बीच में
नहीं आई है ।