उलूक टाइम्स: रविकर
रविकर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रविकर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 2 जनवरी 2024

ऐसे ही २०२४ नहीं है आया कल्कि आयेंगे सुना है अभी तो मंदिर ही है आया



लिखना बंद हुआ ‘उलूक’ कुछ दिन
मगर क्यों हुआ समझ में ही नहीं आया
पढ़ना बंद किया लोगों ने
क्यों कोई आस पास लिखे के नजर नहीं आया

सोचेंगे ही नहीं अब पढ़ने वालों के बारे में
एक नया साल है अब आया
लिखेंगे मनमौजी कुछ भी कहीं भी
लिखने वाला आँखिर क्यों कर शरमाया

लिख रहे है ‘रविकर’ लिख रहे हैं ‘विश्वमोहन’
‘रूपचन्द्र’ का लिखना कौन रोक पाया
विद्वानों की पंक्ति इतनी सी भी नहीं है
एक से एक हैं यहाँ ये आया वो भी आया

दूरदर्शन अखबार समाचार सब ही आभासी हैं 
सब जानते हैं लोग किस ने है कब्जाया
चिट्ठा ज़िंदा है अभी कुछ
कुछ कुछ हैं चिट्ठाकार
लिखते हैं निर्भीक कुछ नहीं कमाया

कुछ लिखते अपनी कुछ लिखते हैं पतंग
कुछ ने दिनचर्या लिखने का मन है बनाया
‘उलूक’ लिखता है भडास हमेशा
बकवास को पढ़ने कौन इच्छा से सामने है आया

चित्र साभार: https://in.pinterest.com/pin/607493437217436922/

रविवार, 22 अप्रैल 2012

आज छुट्टी है

रोज कुछ कहने को
जरूरी नहीं बनायेगा

भौंपू आज बिल्कुल
नहीं बजाया जायेगा

किसी पर भी उंगली
आज नहीं उठायेगा

'उलूक' आज कोई
गाना नहीं सुनायेगा

आँख बंद रखेगा
और
सीटियां बजायेगा

रविवार है
मौन रखेगा
शांति से
छुट्टी मनायेगा

'चर्चामंच' वालो से
निवेदन किया जायेगा

कोई इस बात की चर्चा
भी वहां नहीं करायेगा

'रविकर' को भी
पता नहीं चलने
दिया जायेगा
देखते हैं आज कैसे
दिल्लगी कर पायेगा

सोमवार से शनिवार
पता रहता है
कोई यहां
देखने नहीं आयेगा

रविवार को कम से कम
बेवकूफ नहीं बन पायेगा

'ऊँ शाँति ऊँ शाँति
शाँति शाँति ऊँ'
वाला कैसेट बजा के
सबको सुनाया जायेगा

एक दिन के लिये
ब्लाग 'उलूक टाईम्स'
में ताला 'हैरीसन' का
लगाया ही जायेगा।