उलूक टाइम्स: लटकता
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शनिवार, 25 अप्रैल 2015

जो खटकता है वही ला कर लिख पटकता है



दिमागी तरंग 
दिखाती है रंग बिना पिये भंग 

जब भी कहीं
कुछ खटकता है 
झटका जोर का मगर
धीरे से 
कहीं किसी को लगता है 

लिखा जाता है
कुछ अपने हिसाब से 

अपना
गणित पढ़ने वाला
अपने हिसाब से 
उस सवाल को हल करने लगता है 

बहुत से शब्दों के
पेटेंट हो चुके हैं 
कौन
किस पर जा कर चिपकता है 
पता कहाँ चलता है 

झाड़ू है
सफाई है भारत है अभियान है 
बेमौसम
बारिश है ओले हैं तूफान है 
कहाँ
पता चलता है
कौन कहाँ जा लटकता है 

लटकना
डूबना कूदना तो समझ में आता भी है 
बस हवा हवा में
कई बातों का हवाई जहाज 
दिमाग के
ऊपर से होकर पता नहीं
कहाँ जा उतरता है

उसके
सिर में इसका चमचा
इसके
सिर में उसका चमचा 
कौन से
लटकने झटकने
को ला कर पटकता है 

जगह जगह
हो रही लूट खसोट पर
आँख बंद कर
‘उलूक’ के
कुछ कह देते ही 
मौका पाकर
उसे नोचने खसोटने को 
समझदार होशियर
एक
तुरंत झपटता है ।

चित्र साभार: www.shutterstock.com