उलूक टाइम्स: संगीत
संगीत लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
संगीत लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 3 जुलाई 2014

किसी ने तो देखा सुना होगा किसी का ढोलक या सितार हो जाना

लकड़ी
पर चढ़ी 

एक
मरे जानवर
की खाल हो

खूँटियों
पर कसे

कुछ
लोहे के
तार हों

कर्णप्रिय
संगीत
लहरियाँ हों
ढोलक हो
सितार हो

जिंदा
शरीर
के गले से
निकलता
सुरीला
संगीत हो

नर्तकी के
कोमल पैरों में
बंधे घुँघरूओं
की खनकती
आवाज हो

जरूरी
होता है
कहीं ना कहीं
कुछ खोखला होना

और
होना
होता है
किसी को
पारंगत
पीटने में
या
खींचनें में

आना
होता है
खोखलेपन से
निकलते हुऐ
खालीपन को
दिशा देना

आसान
नहीं होता है

अपने
अंदर से
निकलती हुई
आवाजों को
खुद ही सुनना
और
खुद ही समझना

कुछ
काम नहीं आता

जिंदगी का
पीटने और
खींचने में
पारंगत
हो जाना

कौन
बता पाता है

उसे
कब समझ
में आता है

अपने
खुद के ही
अंदर का
सबकुछ
खाली हो जाना

और
उसी पल
खालीपन से
सब कुछ
भर भरा जाना

खोखला
हो जाने
के बावजूद भी

संगीत का
बहुत ही
बेसुरा
हो जाना ।

शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

चुटकी बजा पर्यावरण पढ़ा

वाणिज्य हो
या कला हो
विज्ञान हो
चित्रकला हो
संगीत हो
या शिक्षा हो

हर जगह पर
दिखता हो
ऎसा भी बहुत
कुछ अब यहाँ
पाया जाता है

‘पर्यावरण’
उनमें से एक है
जो हर जगह
पढ़ाया जाता है

जिसे
पास करना
भी जरूरी
होता है

वरना
परीक्षाफल
में फेल लिख
दिया जाता है

सब ही को
पर्यावरण
आता है

इसलिये
हर कोई
पढ़ा भी
ले जाता है

किताबों से
इसका कोई
मतलब कहीं
नहीं दिखता है

इसलिये
कोई भी हो
पढ़ा हो या
अनपढ़ हो

आसपास
से ही अपने
इतना
कुछ सीख
ले जाता है

कुछ हो पाये
या ना हो पाये
एक पर्यावरणविद
जरूर हो पाता है

पर्यावरण का
भूगोल होता है
पर्यावरण का
इतिहास होता है

पर्यावरण का
शिक्षाशास्त्र होता है
पर्यावरण का
समाजशास्त्र होता है

बिना
राजनीतिशास्त्र के
‘पर्यावरण बिल’
कहीं भी नहीं
पास होता है

पर्यावरणविद
होने के लिये
विज्ञान का ज्ञान
होना ही बस
सबसे बड़ा
अपवाद होता है

हिमालय है
अभी भी
टिका हुआ
उसमें भी
इस सब का
बहुत बड़ा
हाथ होता है

परेशान क्यों
ऎसे में तू
यूँ ही होता है
एक छोटी सी
आपदा आने
से कुछ नहीं
होता है

इतना
सब कुछ जब
पर्यावरण पर
पर्यावरणविद
रोज का रोज
कुछ ना कुछ
चुटकियों में
कह देता है ।