उलूक टाइम्स: सार्थक
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गुरुवार, 21 मई 2015

होती है बहुत होती है अंदर ही अंदर किसी को बहुत ही परेशानी होती है


सार्थक लेखन की खोज में
निरर्थक भटकने चले जाना भी 
शायद बुद्धिमानी होती है

बकवास कर रहा होता है बेवकूफ कोई कहीं
पीछा करते हुऐ आदतन खोजना अर्थ उसमें भी 
फिर भी कई सूरमाओं की कहानी होती है

टटोलते हुऐ बिना देखे 
खाली फटेटाट के झोले में हाथ डालकर
हाथ में आई हवा को बाहर निकाल कर
देखने की आदत बहुत पुरानी होती है

पता होता है खिसियाने की जगह समझाने की
कलाकारी उसके बाद ही दिखानी होती है

लिख रहा होता है बकवास 
कह रहा होता है है बकवास 
अपने दिन के हिसाब किताब को 
शाम होते डायरी में छिपाने की बेताबी
‘उलूक’ को इसी तरह बतानी होती है

बैचेनी का आलम इधर हो ना हो 
पता चल जाता है
किसी के लिखने की आदत से 
उस पर ऊपर से अपना दर्द

होती है अंदर ही अंदर 
किसी को बहुत ही परेशानी होती है ।

चित्र साभार: etc.usf.edu