उलूक टाइम्स: स्वतंत्रता दिवस
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शनिवार, 15 अगस्त 2015

आजादी जिंदा और गुलामी मरी हुई बात कुछ समझ में आई ?

सूरज डूब गया
बहुत अच्छी तरह
आज का दिन भी
पिछले उन्हत्तर
सालों की तरह
बीतना था बीत गया
स्वतंत्रों की स्वतंत्रता
हर जगह नजर आई
बेचारी गुलामी
गुलामों की
दूर दूर तक कहीं
भी नजर नहीं आई
गुलाम और
गुलामी की बात
आजाद और
आजादी के साथ
करने की हिम्मत
आज के दिन तो
कम से कम
नहीं ही आनी थी
समझ में नहीं आया
क्यूँ और
किसलिये चली आई
लगता है बंदर के
बारे में नहीं सोचने
की प्रतिज्ञा आज
के दिन के लिये
किसी ना किसी ने
किसी कारण से
है करवाई
क्या फायदा हुआ
कैसे भूल गया
बचपन में स्कूल में
हर साल झंडे के साथ
प्रभात फेरी थी करवाई
गुलामी नहीं रही
शहीदों के साथ साथ
ही शहीद हो गई
किताबों में एक नहीं
कई सारी तेरे पढ़ने
परीक्षा देने के लिये
ही गई थी लिखवाई
‘उलूक’ रात में भी
ढंग से नहीं देखने
की बात तेरे बारे
में थी सुनी सुनाई
पहली बार हुआ
अचँभा जरा सा
जब चमगादड़ की
तरह उल्टा लटकने
की करामात तेरी
सामने से चली आई
जिंदा आजादी की
बात छोड़ कर आज
भी तुझे मरी हुई
गुलामी की
याद चली आई ।

चित्र साभार: thinkramki.blogspot.com

शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

आजाद देश के आजादी के आदी हो चुके आजाद लोगों को एक बार पुन: आजादी की ढेर सारी शुभकामनाएं

एक
आजाद देश के
आजादी के
आदी
हो चुके
आजाद
लोगों को

एक बार
पुन:
आजादी की
ढेर सारी
शुभकामनाएं

सुबह उठें
तिरंगा
जरूर लहरायें
तालियाँ
उसके
बाद ही बजायें

जन गण मन
साथ में गायें
मिठाइयाँ बटवाऐं
कुछ भाषण
खुद फोड़े
कुछ इनसे
और
कुछ उनसे
फुड़वायें

देश प्रेम से
भरे भरे
पाँव से
सिर तक
ही नहीं
उसके
ऊपर ऊपर
कहीं तक
भर भर जायें

इतना भरें
शुद्ध पारदर्शी
स्वच्छ गँगाजल
की तरह
छलछ्ल कर
छलछलाते हुऐ दूर
बहुत दूर से भी
साफ साफ
नजर आयें

दूरदर्शन
आकाशवाणी
से उदघोषणा
करवायें

समाचार
लिख लिखा
कर ढेर सारी
प्रतियों में
फोटो कापी
करवायें

माला डाले
सुशील संभ्रांत
किसी ना किसी
व्यक्ति का फोटो
रंगीन खिंचवायें

एक दो नहीं
घर शहर देश
प्रदेश के
सभी अखबार
में छपवाने
के लिये
घर के खबरी
को दौड़ायें

दिन निकले
इसी तरह
खुशी खुशी
शामे दावत
की तैयारी में
जुट जायें

आजादी के
होकर गुलाम
फिर वही सब
रोज का करने को
वही सब काम

एक गीता
बगल में दबा कर
शुरु वहीं से
जहाँ रुके थे
फिर से शुरु हो जायें

एक
आजाद देश के
आजादी के
आदी हो चुके
आजाद लोगों को
एक बार पुन:
आजादी की
ढेर सारी
शुभकामनाएं।

चित्र साभार: happyfreepictures.com

गुरुवार, 15 अगस्त 2013

आजादी भी खुद चाहती है अब आजादी

सभी भारतीयों को
स्वतंत्रता दिवस की
बहुत बहुत शुभकामनाएं
लो आ गया फिर आज
वो मुबारक दिन
पूर्ण हुई थी जब कभी
मेरे देश के नागरिकों
की सारी मनोकामनाएं
आजादी मिली थी
आज ही के दिन
ऎसा कुछ कभी
पढ़ाया गया था
बताया गया था
बुजुर्गों द्वारा अपनी
कहानियों में कभी 
सुनाया गया था
आजाद हो गये हैं
सब लोक भी
और तंत्र भी
ऎसा कुछ कभी
समझाया गया था
और
ये बात तो सच है
महसूस भी होती है
दिल को अंदर तक
कहीं छू भी लेती है
आजादी अब कहीं
भी रुकती नहीं
होता नहीं कोई
घर्षण  अब कहीं
स्वत: स्फूर्त होती है
बाहर से नहीं
दिल के अंदर
से होती है
अब आजादी
जीवित ही नहीं
बेजान में तक
जीती हुई सी
मिलती है
जब आजादी
हुऎ
हम सब
आजाद ऎसे
टूटती रही सारी
सीमाऎं जैसे
धीरे धीरे कुछ
यूँ ही सभी
कसमसाती ही रही
तब ये आजादी
चाहने लगी अपने
ही खुद के लिये
भी कुछ आजादी
अब दिख रही है
हर तरफ हर चीज
खुद से आजाद ऎसे
कुछ कहती नहीं बस
मौन सी हो
गई है आजादी
हम हो चुके हैं
तोड़ कर सारी हदें
इतना आजाद
कि अब रहना
भी नहीं चाहती
साथ में ये
ही आजादी
सब को मुबारक
आज का दिन
अभी तक तो
कह ही रही है
ये ही आजादी
कल जो करे
वो सो करे
पर आज तो
मजबूर सी क्यों
लग रही है आजादी
क्या उम्र ज्यादा
होने से बूढ़ी तो
नहीं हो गई
है ये आजादी ।