उलूक टाइम्स: हरम
हरम लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
हरम लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 24 दिसंबर 2017

लिखने वाले को लिखने की बीमारी है ये सब उसके अपने करम हैं । वैधानिक चेतावनी: (कृपया समझने की कोशिश ना करें)

डूबेगी नहीं
पता है
डुबाने वाला
पानी ही
बहुत
बेशरम है

बैठे हैं
डूबती हुई
नाव में लोग

हर चेहरे पर
फिर भी नहीं
दिख रही है
कोई शरम है

पानी नाव
में ही
भर रहा है
नाव वालों के
अपने भी
करम हैं

डुबोने वाले को
तैरने वालों के भी
ना जाने क्यों
डूब जाने
का भरम है

अच्छाई से
परेशान होता है
बुराई पर
नरम दिखता है
दिखाने के लिये
थानेदार
बना बैठा है

थाने का हर
सिपाही भी
नजर आता है
जैसे बहुत गरम है

लिखा होता है
बैनर होता है
आध्यात्मिक
होता है

ईश्वरीय होता है
विश्वविद्यालय होता है
सब कुछ परम है

याद आ गयी
तो देखने चल दिये
पता चलता है
 कुछ भी नहीं है
बस एक बहुत
बड़ा सा एक हरम है

अजीब है रिवायते हैं
किसी को पता
भी नहीं होता है
क्या करम है
क्या कुकरम हैं

बस देखता
रहता है ‘उलूक’
दिन में भी अंधा है
रात की चकाचौंध
का उसपर भी
कुछ रहम है ।

आभार: गूगल

रविवार, 19 नवंबर 2017

अजीब से काम जब नजीर हो रहे होते हैं

पीछे लौटते हैं
लिखने वाले
लिखते लिखते
कई बार

पुराने लिखे
लिखाये की
कतरनों में
चिपके शब्दों
की खुरचनों के
लोग मुरीद
हो रहे होते हैं

चल देते
हैं ढूँढने
मायने हो रहे
बहुत कुछ के
जमाने में

काम हो रहे
होते हैं जब
बहुत सलीके से
मगर अजीब से
कुछ हो रहे होते हैं

नींद में नहीं
होते हैं खुली
आँखों से दिन में
सपने देखने वाले

जानते हैं
अच्छी तरह
हरम के रास्ते
बहुत बेतरतीब
हो रहे होते हैं

याद नहीं आते हैं
या होते ही नहीं हैं
कुछ शब्द कुछ
कामों के लिये

करने वाले
शातिर
सारे के सारे
फकीर हो
रहे होते हैं

छोड़ भी दे 
‘उलूक’
अकेले ढूँढना

शब्द
और मायने 
दिख रहे कुछ 
हो रहे के 

कई सारे
लोगों के 
मिलकर
किये 
जा
रहे कुछ 
अजीब से
काम 
जब नजीर 
हो रहे होते हैं । 

चित्र साभार: The Economic Times