उलूक टाइम्स

शनिवार, 31 दिसंबर 2011

खबर

एक

देता है

कुछ
अनुदान

दो को

दो

कार्यक्रम
बनाता है

फिर

तीन
को बताता है

तीन
बहुत दूर से

चार
को बुलाता है

अतिथि
गृह में
ठहराता है

सलाद
कटवाता है

गिलास
धुलवाता है

चार
सेवा टहल
करवाता है

टी ए डी ए
भरवाता है

खर्राटे भरकर
सो जाता है

पांच

झाडू़
लगवाता है

मंच सजाता है

देर से घर जाता है

पांच

फिर
सुबह सुबह
आ जाता है

आदत
से मजबूर
खुद पर
खिसियाता है

कोई भी
उपस्थित
नहीं हुवा
समय पर

पाता है

दो और चार
टहल के आते हैं

कौलर अपने
उठाते हैं

धूप में
बैठ जाते हैं

श्रोता
एक घंटा
देर से आते हैं

बेहयाई
से फिर
मुस्कुराते हैं

तीन
घर में
बीन बजाता है

कुछ को
मोबाईल फोन
मिलाता है

कार्यक्रम
हुवा या नहीं
पता लगाता है

अखबार
वालों को
सब कुछ
बताता है

पांच
अगले दिन
खबर में पाता है

सारी
खबर में
अखबार
तीन ही तीन
दिखाता है

तीन
घर में रखी बीन
फिर से बजाता है

पांच
अपनी बीबी से

डांठ
जोर की
खाता है।

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

राज काज


़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
नैनीताल समाचार में छपी थी मेरी कुछ लाइने कुछ वर्ष पूर्व।
वहाँ त्रिवार्षिक कार्यकाल वालों के लिये था।
यहां त्रिवार्षिक बदल कर पंचवर्षीय कर दे रहा हूँ।
शेष लाइने वही हैं ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़
कुत्तों की सभा का पंचवर्षीय चुनाव
गीदड़ ने पहना ताज 
ऎल्सेशियन से बुलडौग लडा़या
पौमेरियन एप्सो को छोटा बतलाया
ये था इसका राज 
ये था इसका राज गीदड़ अब रेवड़ी बांटे
कुत्ता अब कुत्ते को काटे कोई ना रहा अपवाद
कोई ना रहा अपवाद
ढटुओं को अब रोना आया 
रोते रोते अलख जगाया गये शेर की मांद
शेर गुर्राया
डर डर कर कुत्तों ने फरमाया
हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजामें गुलिस्ताँ क्या होगा 
सुन शेर को गुस्सा आया पी0 ए0 को आदेश लिखाया
क्यों शाख पर उल्लू बैठाया
तुरंत जाओ कुत्ता देश
तुरंत जाओ कुत्ता देश शाख को काट के लाओ
उल्लू को आकाश उड़ाओ 
हुवा पालन आदेश उल्लू अब गीदड़ पर बैठे 
कुत्ता राज गीदड़ राजा
ना रहे उल्लू ना रही अब शाखा ।

[ढटुआ = Street Dog]

चित्र साभार: https://www.istockphoto.com/

गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

भीड़

भीड़ को
पढा़ते पढ़ाते
अब वो
भीड़ बनाना
अच्छा सीख
गया है

भीड़ पहले
कभी भी
उसका पेशा
नहीं रही

भीड़ से
निपटने में
अचानक
उसे लगा
भीड़ बहुत
काम की
चीज हो
सकती है

उस दिन
से उसने
पेशा ही
बदल डाला

अब वो
केवल एक
इशारा भर
करता है

कुछ
अजीब सा
वो भी
आसमान
की तरफ
देख कर

भीड़
चली आती है
भीड़
आपस में
बात करती है
खुले हाथ
लहराती है

लौटते हुवे
भीड़ की
मुट्ठियाँ
बंद होती हैं

एक दूसरे
से कुछ
छिपाते हुवे

एक भीड़
लौटी
वो फिर
इशारा
शुरू
कर देता है

मैने
बहुत दिन
असफल
कोशिश की
उस भीड़
का हिस्सा
बन जाने
के लिए

अब मैंने
भी वही
इशारा
करना शुरु
कर दिया है

पर कोई
नहीं आता
मेरे आसपास

भीड़
रोज
देखती है
मुझे उसी
इशारे के
साथ
जो उसका
भी है
और मैं
भीड़
देखता हूँ
जाते हुवे
उसकी तरफ
उसी इशारे
की तरफ
जिस इशारे
को सीखने
के लिये
मैने
भी अपना
पेशा छोड़
दिया है ।

बुधवार, 28 दिसंबर 2011

चुनाव

चूहा कूदा फिर कूदा
कूद गया फिसल पड़ा
एक कांच के गिलास
में जाकर डूब गया
छटपटाया फड़फड़ाया
तुरंत कूद के बाहर
निकल आया
सामने देखा तो
दिखाई दे गयी
अचानक उसे
एक बिल्ली
पर ये क्या
बिल्ली तो
नांक मुंह
सिकोड़ने
लगी
चूहे से मुंह
मोड़ने लगी
चूहा कुछ फूलने
सा लगा
थोड़ा थोडा़ सा
झूमने भी लगा
बिल्ली को देख कर
पूंछ उठाने लगा
फिर बिल्ली को
धमकाने लगा
बिल्ली बोली
बदबू आ रही है
जा पहले नहा के आ
वर्ना अपनी शकल
मुझे मत दिखा
चूहा मुस्कुराया
फिर फुसफुसाया
हो गया ना कनफ्यूजन
गिलास में क्या गिरा
बदबू तुम्हें है आने लगी
पर गिलास में शराब
नहीं है दीदी
वहां तो सरकार है
चुनाव नजदीक आ रहा है
टिकट बांटे जा रहे हैं
मैंने फिसल के
अपना भाग्य है चमकाया
जीतने वाली पार्टी
का टिकट उड़ाया
और कूद के बाहर
हूँ आया।

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

आदमी / पागल

आदमी आदमी से
टकराने लगा है
पागल पागल को
समझाने लगा है
एक पागल आया
कल मेरे पास
उसने समझाया
उसकी भी समझ
में अब सब
आने लगा है
बोला पागल हूँ
तो क्या बेवकूफ
भी बना लोगे
मेरे हिस्से की
चांदनी भी
चुरा लोगे
धूप तो आप
रोज दिन में
चोरते आये हो
अब रात में
भी चोरी
करा लोगे
आदमी का
आदमी को
पागल बनाना
तो समझ
में आता है
आप तो
हदें पार
कर आये हो
चैन से रहने
देते ना भैया
मत छीनो
सुकून हमारा
आंखिर क्यों
आदमी बनाने
पर ही आप
उतर आये हो?