उलूक टाइम्स

मंगलवार, 30 जून 2015

सही सही है या गलत सही है पिताजी भी ना जाने किसको सिखा गये

पिता जी
सब गलत सलत
ही सिखा गये

पता नहीं
क्या क्या
उल्टा
क्या क्या
सीधा
बता गये

कुछ भी
तो नहीं
होता यहाँ

उनका जैसा
सिखाया हुआ

कहते
रह गये
जिंदगी भर

उनके
पिता जी
भी उनको
ऐसा ही कुछ
सुना गये

बच्चो मेरे
तुमको भी
वही सब
सिखाने की
कोशिश में

पाँव के
घुटने मेरे
खुद के अपने

हाथों में घूम
फिर उल्टे होकर

वापस
अपनी जगह
पर आ गये

कल
पता है मुझे
मेरे बाद
तुम्हें भी

वही
महसूस होना है

हर
पिता को
अपनी संतानों से

शायद
यही सब कहना है

कुछ लोग
कुछ बातें
इसी तरह की

फालतू
यहाँ वहाँ
सब ही
जगह पर
फैला गये

कुछ
किताबों में
लिख गये

कुछ
घर में

कुछ
अड़ोस पड़ोस में

अपने ही
घर मोहल्ले में
फुसफुसा गये

बस क्या
नहीं कहा
किसी
ने भी
किसी से
कभी भी
उल्टा
करना होता है
दिशा को हमेशा

गर
कोई बताये
सारे के सारे
लोग अच्छे

इस
दुनियाँ के
मर खप के
यहाँ से उधर
और वहाँ गये

उल्टा
होता है सीधा

सीधे
को उल्टा
करना ही

पता नहीं क्यों

पिता जी लोग
संतानों को
बस अपनी
नहीं सिखा गये

हर चीज
दिखती है

अपने
आस पास की
आज उल्टी

कैसे
पूछा जाये
किसी से

उनके
पिता जी को
उनके पिता जी

सीधा
सिखा गये
या उल्टा
सिखा गये ।

चित्र साभार: www.clipartof.com

सोमवार, 29 जून 2015

चोर की देश भक्ति से भाई कौन परेशान होता है

चोर हो तो 
होने से भी
क्या होता है
देश भक्ति
की पाँत में

तो सबसे आगे 

ही खड़ा होता है 

देश भक्ति अलग
एक बात होती है
चोरी करने के
साथ और नहीं
करने के भी
साथ होती है
एक देश भक्त
पूरा ही पर खाली
भगत होता है
एक देश भक्त
होने के साथ साथ
चोर भी छोटा सा
या बहुत बड़ा
भी कोई होता है
समझना देश को
फिर भक्ति को
चोरी चकारी के
साथ होना गजब
और बहुत ही
गजब होता है
संविधान उदार
देश का बहुत ही
उदार होता है
चोर जेल में रहे
या ना रहे
देश का भगत
होने से कुछ भी
कहीं भी कुछ
कम नहीं होता है
क्यों नहीं समझता
है कोई कितना ढेर
सारा काम होता है
सुबह से लेकर
शाम तक कहाँ
आराम होता है
देशभक्ति के
साथ साथ चोरी
चकारी भी कर
ले जाना बस में
सबके नहीं होता है
‘उलूक’ शर्म होनी
चाहिये उसे जो
ना भगत होता है
ना चोर होता है
खाली रोज जिस
नक्कारे के हाथ में
दूसरों को चाटने
के वास्ते काला
रंग भरा हुआ बस
एक कलम होता है
ऐसे ही कुछ देश
भक्तों की खाली
भक्ति के कारण
ही सारा देश
बदनाम होता है ।

चित्र साभार: anmolvachan.in

रविवार, 28 जून 2015

नहीं भी हुआ हो तब भी हो गया है हो गया है कह देने से कुछ नहीं होता है

बहुत सारे लोग
कह रहे होते हैं
एक बार नहीं
बार बार
कह रहे होते हैं
तो बीच में
अपनी तरफ से
कुछ भी कहना
नहीं होता है
जो भी कहा
जा रहा होता है
नहीं भी समझ में
आ रहा होता है
तो भी समझ में
अच्छी तरह से
आ रहा है ही
कहना होता है
मान लेना होता है
हर उस बात को
जिसको पढ़ा
लिखा तबका
बिना पढ़े लिखे
को साथ में लेकर
मिलकर जोर शोर
से हर जगह
गली कूँचे
ऊपर से नीचे
जहाँ देखो वहाँ
कह रहा होता है
नहीं भी दिख
रहा होता है
कहीं पर भी
कुछ भी उस
तरह का जिस
तरह होने का
शोर हर तरफ
हो रहा होता है
आने वाला है
कहा गया होता है
कभी भी पहले
कभी को
आ गया है
मान कर
जोर शोर से
आगे को बढ़ाने
के लिये अपने
आगे वाले को
बिना समझे
समझ कर
मान कर उसके
आगे वाले से
कहने कहाने
के लिये बस कह
देना होता है।

चित्र साभार: www.dreamstime.com

शनिवार, 27 जून 2015

मौन की भाषा को बस समझना होता है किसी की मछलियों से कुछ कहना नहीं होता है

बोलते बोलते बोलती
बंद हो जाती है जब
किसी की अपनी ही
पाली पोसी मछलियाँ
तैरना छोड़ कर
पेड़ पर चढ़ना
शुरु हो जाती हैं
वाकई बहुत
मुश्किल होता है
घर का माहौल
घर वालों को
ही पता होता है
जरूरी नहीं
हर घर में किसी
ना किसी को कुछ
ना कुछ लिखना
भी होता है
हर किसी का
लिखा हर कोई
पढ़ने की कोशिश
करे ऐसा भी
जरूरी नहीं होता है
संजीदा होते हैं
बहुत से लोग
संजीदगी ओढ़ लेने
का शौक भी होता है
और बहुत ही
संजीदगी से होता है
मौन रहने का
मतलब वही नहीं
होता है जैसा
मौन देखने वाले
को महसूस होता है
मछलियाँ एक ही
की पाली हुई हों
ऐसा भी नहीं होता है
एक की मछलियों
के साथ मगरमच्छ
भी सोता है
पानी में रहें या
हवा में उड़े
पालने वाला उनके
आने जाने पर
कुछ नहीं कहता है
जानता है मौन रखने
का अपना अलग
फायदा होता है
लंबी पारी खेले हुऐ
मौनी के मौन पर
बहुत कह लेने से
कुछ नहीं होता है
कहते कहते खुद
अपनी मछलियों को
आसमान की ओर
उछलते देख कर
बहुत बोलने वाला
बहुत संजीदगी के साथ
मौन हो लेता है
बोलने वाले के साथ
कुछ भी बोल देने वालों
के लिये भी ये एक
अच्छा मौका होता है
ग्रंथों में बताया गया है
सारा संसार ही एक
मंदिर होता है
कर्म पूजा होती है
पूजा पाठ करते समय
वैसे भी किसी को
किसी से कुछ नहीं
कहना होता है
मछलियाँ तो
मछलियाँ होती हैं
उनका करना
करना नहीं होता है ।

चित्र साभार: all-free-download.com

शुक्रवार, 26 जून 2015

जय हो जय हो जय हो

सब की जय हो
एक हजारवीं
पोस्ट है
जय जय हो
दोस्तों की
जय हो
दुश्मनों की
जय हो
मोदी की
जय हो
केजरीवाल की
जय हो
इंदिरा गाँधी
के साथ
गाँधी की
जय हो
दोस्तों की
जय हो
दुश्मनों की
जय हो
चोरों की
जय हो
पुलिस वालों की
जय हो
रिश्तों की
जय हो
कुत्तों की
जय हो
सब की
जय हो
सोचने वालों की
जय हो
गरीबों की
जय हो
अमीरों की
जय हो
जो हो रहा है
उसकी
जय हो
जो नहीं हो रहा है
उसकी भी
जय हो
राम की
जय हो
हनुमान की
जय हो
हिंदू की
जय हो
मुसलमान की
जय हो
ईमानदार की
जय हो
बेईमान की
जय हो
सबकी
जय हो
देखने में
जो भी दिखे
जो नहीं दिखे
कोई कुछ कहे
उसकी भी
जय हो
जय जय की
जय हो
झूठ की
जय हो
सबसे बड़ी
 जय हो
सच मुँह की खाये
उसकी भी
जय हो
होना सब उसके
हिसाब से है
जो मेरा
हिसाब नहीं है
‘उलूक’ की
जय हो
जय हो जय हो
आप आये
आपने पढ़ दिया
आपकी भी
जय  हो ।

चित्र साभर: www.clker.com