उलूक टाइम्स: वफादारी
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सोमवार, 8 जनवरी 2018

घर का कुत्ता बहुत प्यारा होता है आओ कुत्ता हो जायें और घर में रहें

मुझे कोई
दिलचस्पी
नहीं है
करने में

 मेरा कुत्ता
तेरे कुत्ते से
सफेद कैसे

तेरा कुत्ता
सफेद है
पॉमेरियन है
मेरा कुत्ता
ढटुआ है
भूरा है

ये भी
कोई
बात है

कुत्ते भी
कभी
नापे
जाते हैं

कुत्ते कुत्ते
होते हैं

होते हैं
तो
होते हैं
इसमें
कौन सी
बुराई है

एक कुत्ते
को लेकर
काहे
इतनी सारी
कहानियाँ
बनाना

कुछ लोग
कुत्ते पर ही
रामायण
लिख रहे हैं
आजकल

रामायण या
रामचरित
मानस में
कुत्ते
का जिक्र
हुआ या
नहीं हुआ
उसे
पता होगा
जिसने
पढ़ी होगी
किताबें
तुलसी की
या
बाल्मीकि की

कितने
लोग
पढ़ते हैं
कहाँ पता
चलता है

फिर भी
कुत्ते को
देखकर
बहुत
से लोग
बहुत कुछ
कहते हैं

लोग
और कुत्ते
दो अलग
बातें हैं

कुत्ते को
देखकर
कुछ
कह देना
आसान है

लोग भी
कुत्ते होते हैं
भौकते भी हैं
सारे कुत्तों
को पता
होता है
लोगों का
जो
भौंकते हैं

कुत्तों
की तरह
वफादारी
करना
सबके
बस का
नहीं होता है

बहुत
मन होता है
कुत्ता
हो जाने का
बहुत
मन होता है
भौंकने का
बहुत
मन होता है
काटने का
बहुत
मन होता है
पूँछ हिलाने का
बहुत
मन होता है
बहुत कुछ
करने का
पर
‘उलूक’
कुछ नहीं
हो सकता है यहाँ
जहाँ सब
कुत्ते हो चुके हैं
अपने अपने
हिसाब के
अपनी अपनी
वफादारी बेचकर

कुत्तों को
मानकर
कुत्ता हो जाना
बुरा सौदा नहीं है ।

चित्र साभार: www.wpclipart.com

बुधवार, 5 फ़रवरी 2014

हर कोई हर बात को हर जगह नहीं कहता है इसी दुनियाँ में बहुतों के साथ बहुत कुछ होता है

प्रकृति के
सुन्दर भावों
और दृश्यों पर
बहुत कुछ
लिखते है लोग

लिखा हुआ
पढ़ना भी
चाहते हैं
पर
दुनिया में
कितने प्रकार
के होते हैं
लोगो के प्रकार
बस ये ही
भूल जाते हैं

अपेक्षाओं का
क्या किया जाये
कब किसकी
किससे क्या
हो जाती हैं

दुनियाँ बड़ी
गजब की है
चींंटी भी एक
हाथी की सूंड में
घुस कर उसे
मार ले जाती है

अब
कौन कुत्ता
किस प्रकार
का कुत्ता
हो जाता है
कुत्ता पालने
के समय
किसी से
कहाँ सोचा
जाता है

बहुत से लोग
कुत्तों को
पसँद नहीं
करते हैं
फिर भी
एक कुत्ता
होना ही
चाहिये की
चाह जरूर
रखते हैं

इसलिये
सोच लेते हैं
अपनी सोच में
एक कुत्ते को
और
पालना शुरु
हो जाते हैं

सब कुछ
क्योंकि
सोच में ही
चल रहा
होता है
कोई जंजीर
या
पट्टे से उसे
बांध नहीं
पाते हैं

बस यहीं से
अपेक्षाओं
के महल
का निर्माण
करना शुरु
हो जाते हैं

पालतू
बन कर
कुत्ता
जो पल
रहा होता है

उसे कुछ
भी नहीं
बताते है 

ऐसे में
कैसे उससे
वफादारी
की उम्मीद
पालने वाले
लोग सोचते
सोचते ही
कर ले जाते हैं

सोच में
ही अपनी
अपने किसी
दुश्मन को
काटता हुआ
देखने का
सपना
एक नहीं
कई देख
ले जाते हैं

टूटता है
बुरी तरह
कभी
इसी तरह
अपेक्षाओं
का पहाड़

जब उसी
पाले हुऐ
कुत्ते को
दुश्मन
के साथ
खुद की
ओर भौंकता
हुआ पाते हैं

बस
भौंचक्के
होकर
सोचते ही
रह जाते है

आदत
फिर भी
नहीं छूटती है

एक दूसरा
कुत्ता फिर से
अपनी सोच
में ले ही आते हैं !